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जिंदगी बचाने नहीं, सिर्फ मरीजों को ढोने लायक बचीं हैं एम्बुलेंस

locationभोपालPublished: Aug 02, 2018 07:36:59 am

Submitted by:

Rohit verma

लापरवाही: ऑडिट रिपोर्ट में खुलासे के बाद भी वाहनों को नहीं किया अपडेट

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जिंदगी बचाने नहीं, सिर्फ मरीजों को ढोने लायक बचीं हैं एम्बुलेंस

भोपाल. शहर में चल रहीं 108 एम्बुलेंस खुद बीमार हैं। 14 में से आधी से ज्यादा कंडम हो चली हैं। इनमें न तो पर्याप्त लाइफ सपोर्ट उपकरण हैं, न ही दवाएं। खुलासा खुद जिकित्जा हेल्थ केयर की ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। चार महीने बाद भी जिकित्जा ने इन्हें अपडेट नहीं कराया। बुधवार को कोलार रोड पर सडक़ दुर्घटना में एक डॉक्टर की मौत हो गई। इससे पहले आधे घंटे तक डॉक्टर सडक़ पर तड़पता रहा, लेकिन 108 वाहन नहीं पहुंचा।

लाइफ सपोर्ट भी नहीं
पायलट व ईएमटी (प्रशिक्षित स्टाफ) वाली इन एम्बुलेंस में ब्लड प्रेशर इंस्टूमेंट, ग्लूकोमीटर और व्हीलचेयर जैसे साधारण उपकरण तक नहीं हैं। लाइफ सपोर्ट उपकरण नहीं होने से अब इन एम्बुलेंस में मरीजों को ढोने का काम किया जा रहा है। जबकि सरकार इन्हें संचालित करने वाली कंपनी को पूरा भुगतान कर रही है।

यहां के वाहन कंडम
मिसरोद क्षेत्र की एम्बुलेंस लंबे समय से कंडम है। करोद, कोलार की गाडिय़ां भी आए दिन खराब हो जाती हैं। न तो इनके स्थान पर नई एम्बुलेंस खरीदी जा रही हैं, न ही बैकअप में गाडिय़ां। यही वजह है कि दुघर्टना के घंटों बाद भी मौके पर ये नहीं पहुंच रहीं हैं। पिछले दिनों केवल जेपी अस्पताल में नई एंबुलेंस शुरू की गई है।

इन उपकरणों की कमी
ग्लूकोमीटर: ब्लड शुगर जांचने वाले ग्लूकोमीटर कई एंबुलेंस में नहीं हंै।
ऑक्सीजन सिलेंडर: इनके नहीं होने से जान बचाना मुश्किल।
बीपी इंस्टूमेंट: इस उपकरण से ही मरीज की स्थिति पता चलती है।
व्हील चेयर : नई एम्बुलेंस में व्हील चेयर के लिए जगह भी नहीं है।
सक्शन मशीन : मरीज के गले से कफ या जमा खून निकालने में इसकी जरूरत होती है। पर नहीं है।
नेब्यूलाइजर: श्वास संबंधी पेशेंट को निमोलाइज करने इसकी जरूरत होती है, यह भी नहीं है।
निडिल डिस्ट्रॉयर: निडिल डिस्ट्रॉय करने के लिए न तो कंपनी ने यह मशीन दी और न ही पॉली बैग।
डिलेवरी किट: गर्भवती महिलाओं की कई बार रास्ते में ही प्रसव हो जाता है। इसके बाद भी एम्बुलेंस में डिलेवरी किट तक नहीं रखी गई।

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