पुलिस ने गांधी मेडिकल कॉलेज से बाहर निकलने वाले सभी रास्तों पर बैरिकेट्स, भारी मात्रा में पुलिस बल के साथ दो वॉटर केनन तक खड़ी कर दी। इससे मामला तूल पकड़ गया और विवाद की स्थिति बन गई।
डॉक्टर जब बाहर निकलने की कोशिश कर रहे थे तो पुलिस के साथ झूमाझटकी होने लगी। इस बीच किसी पुलिस अधिकारी ने डॉक्टरों को डंडा मारने की बात कही, इस पर बात बिगड़ गई।
मप्र मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के सचिव डॉ.राकेश मालवीय ने बताया कि सीएम ने कहा है कि व्यस्तता के चलते वे अभी नहीं मिल पाए, लेकिन पांच दिन में डॉक्टर्स से जरूर मिलेंगे। विधायक उइके जीएमसी पहुंचे और बताया कि सीएम ने उनकी मांगों को पूरा करने की बात कही है।
डॉक्टरों ने फिलहाल आंदोलन रोक कर ३० सितंबर तक की मोहलत दी। वहीं, डॉक्टरों का मंगलवार को रैली निकालना पहले से तय था, इसके लिए जिला प्रशासन ने अनुमति जारी कर दी थी। सोमवार देर रात अनुमति निरस्त कर दी।
डॉक्टरों को रोकने पहुंची पुलिस के पास अमला कम पड़ गया तो उन्हों ने अस्पताल के बाहर खड़े ऑटो को गेट पर अड़ा दिया। इसी दौरान किसी ने ऑटो चालक से पूछा कि क्या वो डॉक्टरों को रोक रहा है तो उसने झट से कहा नहीं, ये डॉक्टर ही तो हमारे परिवार का इलाज करते हैं। इतना कह कर वह ऑटो लेकर चला गया।
पुलिस ने डॉक्टरों को रोकने के लिए मेनगेट पर पुलिस बल लगा दिया तो एेसे में डॉक्टर कॉलेज के पीछे और बायरोलॉजी लैब की दीवार फंादकर बाहर निकल आए।
विवाद और आंदोलन के बीच डॉक्टरों और पुलिस अधिकारियों के बीच हल्के फुल्के संवाद भी हुए। डॉक्टरों ने पुलिस से कहा कि आप लोग हमारी हालत देख रहे हैं, अपने बच्चों को डॉक्टर मत बनाना।