LIVE: मंत्री के पहुंचने के दौरान ऐसा था माहौल…
मंत्री तुलसी सिलावट ( Tulsi silawat ) जिस समय जेपी अस्पताल पहुंचे, उस समय कुछ डॉक्टर केबिन के बाहर टहल रहे थे तो कुछ अपनी कार में बैठने की तैयारी में हैं। अचानक स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट को देख डॉक्टर्स हड़बड़ा गए। जबकि बाहर घूम रहे डॉक्टर अपने केबिन की ओर दौड़े सभी को लगा कि मंत्री औचक निरीक्षण ( surprise check ) पर आए हैं।
राहत की सांस ली-
लेकिन पता चला कि वे तो डॉक्टर्स का सम्मान करने आए हैं तो सभी ने राहत की सांस ली। दरअसल, डॉक्टर्स-डे के उपलक्ष्य में स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट जेपी अस्पताल आए थे। उन्होंने कहा कि आज डॉक्टर्स का दिन है। मैं आपका सम्मान करने आया हूं। उन्होंने कर्मचारी को भेजकर फूल-मालाएं मंगाईं और सभी डॉक्टर्स को सम्मानित किया।
इस दौरान अस्पताल अधीक्षक ने मंत्री का सम्मान करना चाहा तो मंत्री तुलसी सिलावट ने मना कर दिया। मंत्री तुलसी सिलावट कहा कि आप ही सम्मान के हकदार हो।
मंत्री आए तो लगा कि निरीक्षण ( surprise check ) करेंगे, लेकिन उन्होंने चिकित्सकों का सम्मान किया। पहली बार है कि किसी स्वास्थ्य मंत्री ने यह पहल की है।
– डॉ. आईके चुघ, अधीक्षक, जेपी अस्पताल
महिला डॉक्टर को वापस बुलाया
स्वास्थ्य मंत्री के आने से मची हड़बड़ाहट में एक महिला डॉक्टर घर जाने लगीं। वे कार में बैठने वाली थी कि एक कर्मचारी दौड़ते हुए आया और कहा कि आपको मंत्री तुलसी सिलावट बुला रहे हैं। ये सुन महिला डॉक्टर थोड़ा सहम गईं। जब वे सिविल सर्जन कक्ष में पहुंची तो पता चला कि उनका सम्मान होने वाला है। ये सुन उन्होंने राहत की सांस ली।
इधर, मंत्री साधौ बोलीं– अमीर तो इंटरनेट से पढ़ लेंगे, क्लास नहीं लगी तो गरीब बच्चे कहां जाएंगे…
वहीं दूसरी ओर डॉक्टर्स-डे पर चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित सम्मान समारोह की मुख्य अतिथि चिकित्सा शिक्षा मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ थीं। उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस और पीजी की सीटें तीन गुना हुई हैं।
मेडिकल कॉलेजों में क्लासेस नहीं लगतीं। ऐसे में अमीरों के बच्चे तो इंटरनेट से पढ़ाई कर लेंगे, पर गरीब कैसे पढ़ेगा। साधौ ने कहा कि डॉक्टर्स कमर्शियल होते जा रहे हैं, वे अस्पतालों में समय दें। इस अवसर पर जबलपुर मेडिकल कॉलेज के दिवंगत डॉ. एचकेटी रजा के परिवार व रिटायर्ड डॉक्टर्स, डीन, डीएमई को सम्मानित किया गया।
: एमबीबीएस करिकुलम में बदलाव किया जाना चाहिए।
: एमबीबीएस की पढ़ाई ज्यादा प्रायोगिक बनाएं। इससे मरीजों को फायदा होगा।
: क्वालिटी एजुकेशन और प्रैक्टिकल बेस्ड पढ़ाई हो।
: मेडिकल कॉलेजों में रिसर्च को बढ़ावा दिया जाए।
: ग्रामीण क्षेत्रों में पोस्टिंग से पहले डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जाए।
: मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में पुलिस चौकी खोलें।