scriptएक स्ट्रीट डॉग को बचाने के लिए भोपाल रेल डिवीजन ने आधी रात में 6 घंटे तक चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन | Dog, puppies rescued from under rail heap in 6-hour operation | Patrika News

एक स्ट्रीट डॉग को बचाने के लिए भोपाल रेल डिवीजन ने आधी रात में 6 घंटे तक चलाया रेस्क्यू ऑपरेशन

locationभोपालPublished: Nov 03, 2019 10:22:15 pm

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रात 2.30 बजे तक खुद डीआरएम उदय बोरवणकर भी घटनास्थल पर मौजूद रहे, 100 टन वजनी रेल पटरियों के बीचोंबीच फंसी थी फीमेल डॉग, वहीं दिया बच्चों को जन्म

A dog and her two newborn puppies were rescued on Sunday

A dog and her two newborn puppies were rescued on Sunday

विकास वर्मा, भोपाल। 15 लेयर में 100 टन से अधिक वजन की 25-25 मीटर लंबी रेल पटरियों के बीचोंबीच फंसी एक स्ट्रीट फीमेल डॉग को बचाने के लिए भोपाल रेल मंडल के सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच के कर्मचारियों ने 6 घंटे की कड़ी मशक्कत की। आखिरकार रात 2.30 बजे फीमेल डॉग और उसके नवजात बच्चों को सकुशल निकाल लिया गया। करीब 6 घंटे तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में खुद भोपाल रेल मंडल के डीआरएम उदय बोरवणकर भी रात 2.30 बजे तक घटनास्थल पर मौजूद रहे।

 

A dog and her two newborn puppies were rescued on Sunday

पीपल फॉर एनिमल के वॉलेंटियर ने मदद के लिए डीआरएम को किया था कॉल

दरअसल, शनिवार-रविवार की दरम्यानी रात भोपाल रेलवे स्टेशन के थोड़ा आगे वेस्ट रेलवे कॉलोनी के पास सेक्शन में सप्लाई के लिए रखी रेल पटरियों में से एक डॉगी के चिल्लाने की आवाज आ रही थी। वहां से गुजर रहे पीपल फॉर एनिमल एनजीओ के वॉलेंटियर अयान खान ने जब डॉगी की आवाज सुनी तो उन्होंने अपने साथियों से संपर्क साधा।

जिसके बाद पीपुल्स फॉर एनिमल भोपाल यूनिट की स्वाति गौरव ने शाम करीब 7.30 बजे डीआरएम उदय बोरवणकर को कॉल कर पूरा माजरा बताया और उन्हें व्हाट्सएप पर लोकेशन भी भेजी। जिसके बाद डीआरएम ने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देकर इस मामले को देखने का कहा। लेकिन जब एडीईएन (वक्र्स) एआर खान मौके पर पहुंचे तो देखा कि फीमेल डॉग तो करीब 100 टन वजनी पटरियों की 15 लेयर के नीचे फंसी है, जिसे मैन्युअली निकालना संभव नहीं था। लिहाजा उन्होंने डीआरएम को मौजूदा स्थिति से अवगत कराया।

 

A dog and her two newborn puppies were rescued on Sunday

रेलकर्मियों का हौसला बढ़ाने घटनास्थल पर खुद डीआरएम भी पहुंचे

इसके बाद डीआरएम के निर्देश पर हाइड्रा क्रेन मंगवाई गई, चूंकि रात के 9.30 बजे चुके थे इसलिए वहां काफी अंधेरा था। ऐसे में रेलवे की दुर्घटना राहत वैन मंगवाकर उसकी लाइट जलवाई गई। रेलवे के सिविल इंजीनियरिंग ब्रांच के 15 गैंगमैन, 2 पीडब्लूआई, एडीईएन (वक्र्स) रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। वहीं जब डीआरएम को खबर लगी कि इस काम में काफी वक्त लग रहा है तो वह रात 11.30 बजे खुद घटनास्थल पर पहुंच गए। जिसके बाद वहां मौजूद रेल कर्मचारियों का भी हौसला बढ़ गया। जब पटरियों की आखिरी की दो लेयर बची थी तो रेस्क्यू ऑपरेशन रात करीब 2.30 बजे तक चला, डीआरएम तब तक वहां मौजूद रहे। आखिरकार फीमेल डॉग और उसके नवजात बच्चों को बचा लिया गया और रात में उसे वेटेनरी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया।


A dog and her two newborn puppies were rescued on Sunday

मुझे एनजीओ मेंबर्स ने कॉल किया था, जिसके बाद मैंने स्टाफ को मदद करने को कहा। लेकिन फीमेल डॉग 100 टन वजनी पटरियों के बीचोंबीच फंसी थी, इसलिए रात में ही हाइड्रा क्रेन और दुर्घटना राहत यान मंगवाया गया। इंजीनियरिंग ब्रांच के ट्रैक मेंटेनर्स ने करीब 6 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद डॉग को सकुशल बाहर निकाल लिया, पूरी टीम का काम काबिले तारीफ रहा।

– उदय बोरवणकर, डीआरएम, भोपाल डिवीजन

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