कुत्ते- शहर में 25 हजार आवारा कुत्ते हैं।
उपाय किया- 2014 से सालाना करीब डेढ़ करोड़ रुपए में नसबंदी का ठेका दिया हुआ है।
ये हैं स्थिति- एजेंसी सालाना 19 हजार कुत्तों की नसबंदी का दावा करती है। चार साल में करीब 76 हजार कुत्तों की नसबंदी हो जाना चाहिए, फिर भी 25 हजार कुत्ते बिना नसबंदी के कैसे घूम रहे हैं?
कैसे खतरनाक- निगम के कर्मचारी एक क्षेत्र का कुत्ता दूसरे में छोड़ रहे, इससे कुत्ते आक्रामक हो रहे। जान का खतरा समझकर इंसानों पर हमले कर रहे हैं।
उपाय किया- जनवरी 2017 में डेयरियों का सर्वे किया।
ये हैं स्थिति- कोलार रोड से लेकर चूनाभट्टी, शाहपुरा, अरेरा कॉलोनी, एमपी नगर, होशंगाबाद रोड, पीएचक्यू रोड, पुराना शहर समेत तमाम क्षेत्रों में डेरा रहता है।
ऐसे खतरनाक- गंदगी फैलाने में इनका बड़ा योगदान है। सड़क पर दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। कई लोगों की जान जा चुकी है।
अविनाश लवानिया, निगमायुक्त
ऐसी बीमारियों के मामले आ रहे हैं जो कुत्तों व मवेशियों से होती हैं। वायरल व सांस, चमड़ी से जुड़ी बीमारियों के भी ये वाहक हंै।
डॉ. धीरज शुक्ला, फिजिशियन
भोपाल. नेहरू नगर चौराहे से सटे जैन टॉवर में रहने वाले परिवार इन दिनों शाम होते ही फ्लैट्स में कैद हो जाते हैं। मुख्य मार्ग पर मौजूद अंग्रेजी शराब दुकान और मांसाहार सामग्री परोसने वाली होटलों की वजह से यहां आवारा कुत्तों का ठिकाना है। अंधेरा होते ही कुत्तों का झुंड रहवासियों की ओर लपकता है। रात भर आपस में लडऩे-झगडऩे, भौंकने के बाद कुत्ते सुबह गंदगी मचाकर भाग जाते हैं। लोगों ने निगम कॉल सेंटर में शिकायतें दर्ज करवाई, लेकिन बीएमसी डॉग कैचर्स की टीम औपचारिकता कर लौट जाती है।