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दो महीने से कुत्तों की नसबंदी है बंद

locationभोपालPublished: Sep 20, 2018 01:36:26 am

Submitted by:

Ram kailash napit

शहर में आवारा कुत्तों का आतंक, राह चलते कर रहे हमला, दहशत में रहवासी

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Stray dogs on Bawdyikal Road
                    

भोपाल. आवारा कुत्तों के आतंक से शहरवासी हलाकान हैं। कुत्तों के झुंड राह चलते नागरिकों, वाहन चालकों से लेकर बच्चे-बूढ़े किसी को नहीं बख्श रहे। इनकी संख्या पॉश इलाकों की तुलना में बस्तियों और पुराने शहर में ज्यादा है। निगम की कार्रवाई का आलम यह है कि कुत्तों की नसबंदी पूरी तरह बंद है। अगस्त में ठेका खत्म होने के साथ ही रातीबड़ शिविर पर ताला डल चुका है। डॉग स्क्वाड के कर्मचारी कुत्ते पकड़ कर जंगल या दूसरे क्षेत्र में छोड़ रहे हैं। नए क्षेत्र में कुत्ते अधिक आक्रामक हो जाते हैं। गौरतलब है कि एनिमल बर्थ कंट्रोल एक्ट 2001 में कुत्तों को मारने पर रोक है। निगम 2014 से सालाना सवा करोड़ खर्च कर कुत्तों की नसबंदी करा रहा था। डॉग स्क्वाड प्रभारी इफ्तेदार रसूल का कहना है कि साक्षी ढाबा के पास डॉग सेंटर खुद ऑपरेट कर रहा है।

कारण: होटलों से निकलने वाली जूठन, मांस की दुकानों से निकलने वाला कचरा खुले में फेंकना है।
हल: कुत्तों को उठाने, ऑपरेशन फिर उसी जगह छोडऩे की प्रक्रिया पारदर्शी हो। रजिस्टर मेंटेन कर कुत्तों की पहचान तय हो।
तलैया छोड़ जाते हैं पॉश इलाके के कुत्ते
मॉडल ग्राउंड के व्यवसायी असरार अली ने बताया कि अचानक कुत्तों की संख्या 15 -20 हो गई है। निगम के कर्मचारियों ने बताया कि पॉश कॉलोनियों से उठाए जाने वाले कुत्तों को टीम पुराने शहर में छोड़ देती है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार कुत्तों को रिलोकेट नहीं किया जा सकता।
शाहजहांनाबाद निवासी डॉ. हेमंत मित्तल के अनुसार पुराने शहर में गंदगी के चलते कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। कुत्तों के झुंड सुबह घूमने निकलने वाले बुजुर्गों के पीछे दौड़ते हैं, तो स्कूल जाने वाले बच्चों के पीछे पड़ जाते हैं। वे बेहद खतरनाक तरीके से हमला भी कर देते हैं।
अशोका गार्डन के व्यवसायी उजेर खान बताते हैं कि आवारा कुत्तों की आंखों में खूंखारपन दिखता है। शहरी कुत्ते भी भेडि़यों से दिखने लगे हैं। बगल से गुजरते हुए डर लगता है कि न जाने कब बोटियां नोच लेंगे।
पिता बोले: ननि बेटे के इलाज का खर्च उठाए
गांधीनगर थाना क्षेत्र के गोकुलधाम में आवारा कुत्तों के हमले में घायल छह साल के मासूम आदिवित्य की हालत स्थिर बनी हुई है। पेशे से ठेकेदार पिता दीपक दीवान ने घटना के लिए नगर निगम को जिम्मेदार बताया है। वे कहते हैं कि बेटे के इलाज का खर्च नगर निगम उठाए। इसकी शिकायत पुलिस समेत अन्य एजेंसियों से करेंगे। कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट जाएंगे।
मां ने कहा, गरीब का बच्चा होता तो कौन कराता इलाज: मां पुष्पा का कहना है कि हम मध्यम वर्गीय परिवार के हैं, इलाज करा रहे हैं। किसी गरीब का बेटा होता तो इलाज कौन कराता। निगम, जिला प्रशासन जिम्मेदारी से ना बचें।
कुत्ते का नाम सुनते ही सहम उठता है
आदिवित्य माता-पिता से बात करते-करते दर्द से कराह उठता है। अब वह कुत्ते का नाम सुनते ही डर जाता है। उसके शरीर पर कुत्तों के हमले के जख्म हैं। पिता ने बताया कि बेटे ने थोड़ा खाना खाया है।

नसबंदी जारी रखने टेंडर किए हैं, जल्द काम शुरू होगा। नए डॉग शेल्टर भी बना रहे हैं। एक से दूसरे क्षेत्र में डॉग छोडऩे की बात है तो इस पर कड़ाई से रोक लगाई जाएगी।
आलोक शर्मा, महापौर
अभी तो नसबंदी पूरी तरह बंद है… हमारा ठेका अगस्त में खत्म हो गया है। देखते हैं, नए टेंडर में काम कब तक शुरू होता है।
नीलम कौर, क्षेत्रीय प्रभारी, डॉग नसबंदी शिविर
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