हल: कुत्तों को उठाने, ऑपरेशन फिर उसी जगह छोडऩे की प्रक्रिया पारदर्शी हो। रजिस्टर मेंटेन कर कुत्तों की पहचान तय हो।
मॉडल ग्राउंड के व्यवसायी असरार अली ने बताया कि अचानक कुत्तों की संख्या 15 -20 हो गई है। निगम के कर्मचारियों ने बताया कि पॉश कॉलोनियों से उठाए जाने वाले कुत्तों को टीम पुराने शहर में छोड़ देती है। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार कुत्तों को रिलोकेट नहीं किया जा सकता।
शाहजहांनाबाद निवासी डॉ. हेमंत मित्तल के अनुसार पुराने शहर में गंदगी के चलते कुत्तों की संख्या बढ़ रही है। कुत्तों के झुंड सुबह घूमने निकलने वाले बुजुर्गों के पीछे दौड़ते हैं, तो स्कूल जाने वाले बच्चों के पीछे पड़ जाते हैं। वे बेहद खतरनाक तरीके से हमला भी कर देते हैं।
अशोका गार्डन के व्यवसायी उजेर खान बताते हैं कि आवारा कुत्तों की आंखों में खूंखारपन दिखता है। शहरी कुत्ते भी भेडि़यों से दिखने लगे हैं। बगल से गुजरते हुए डर लगता है कि न जाने कब बोटियां नोच लेंगे।
गांधीनगर थाना क्षेत्र के गोकुलधाम में आवारा कुत्तों के हमले में घायल छह साल के मासूम आदिवित्य की हालत स्थिर बनी हुई है। पेशे से ठेकेदार पिता दीपक दीवान ने घटना के लिए नगर निगम को जिम्मेदार बताया है। वे कहते हैं कि बेटे के इलाज का खर्च नगर निगम उठाए। इसकी शिकायत पुलिस समेत अन्य एजेंसियों से करेंगे। कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट जाएंगे।
मां ने कहा, गरीब का बच्चा होता तो कौन कराता इलाज: मां पुष्पा का कहना है कि हम मध्यम वर्गीय परिवार के हैं, इलाज करा रहे हैं। किसी गरीब का बेटा होता तो इलाज कौन कराता। निगम, जिला प्रशासन जिम्मेदारी से ना बचें।
कुत्ते का नाम सुनते ही सहम उठता है
आदिवित्य माता-पिता से बात करते-करते दर्द से कराह उठता है। अब वह कुत्ते का नाम सुनते ही डर जाता है। उसके शरीर पर कुत्तों के हमले के जख्म हैं। पिता ने बताया कि बेटे ने थोड़ा खाना खाया है।
आलोक शर्मा, महापौर
अभी तो नसबंदी पूरी तरह बंद है… हमारा ठेका अगस्त में खत्म हो गया है। देखते हैं, नए टेंडर में काम कब तक शुरू होता है।
नीलम कौर, क्षेत्रीय प्रभारी, डॉग नसबंदी शिविर