सुबह 11 बजे शुरू हुए प्रदर्शन के ढाई घण्टे बाद दोपहर में 1.30 बजे आयुक्त अभय वर्मा की अनुपस्थिति में डीपीआई संचालक केके द्विवेदी ने आकर ओबीसी शिक्षक अभ्यर्थियों से बात की। सबसे पहले अभ्यर्थी बोले- हम 70 दिन से धरना दे रहे हैं, आप लोगों ने अभी तक नियुक्ति के लिए कोई प्रयास क्यों नहीं शुरू किए। द्विवेदी बोले- 14 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण नहीं दे सकते, कई अवमानना के इश्यू चल रहे हैं। कोर्ट से जैसा निर्णय होगा, उसके आधार पर आगे की प्रक्रिया होगी… और अभी प्रक्रिया रुकी नहीं है। प्रक्रिया आपका भविष्य उज्ज्वल है, आप लोग धरना खत्म क्यों नहीं करते। इसके बाद बोले- मेरे पास इतना ही कहने को है, और प्रश्न होंगे तो पांच लोग मेरे कार्यालय आ जाएं। इस पर कुछ अभ्यर्थी बोले कि हम लिखित में आप से आश्वासन चाहते हैं, उन्होंने कहा- जैसा चाहेंगे देंगे। इसके बाद अपराह्न 3.00 बजे अभ्यर्थी अपनी मांगों संबंधी ज्ञापन लेकर आयुक्त अभय वर्मा से मिले। अभ्यर्थियों के अनुसार उन्होंने डराने की कोशिश की। कहा कि जो लोग सेवा में 27 प्रतिशत आरक्षण के साथ नियुक्ति पा चुके हैं, अगर कोर्ट से उक्त प्रतिशत आरक्षण को लेकर फैसला नहीं आता है तो उन्हें निकाल दिया जाएगा। कोर्ट से जो भी आदेशित किया जाएगा, उसे लागू करेंगे। आप लोग सरकार से बात करें।
धरना-प्रदर्शन और उसके बाद अभ्यर्थियों की ओर से विरोध स्वरूप गौतम नगर में सड़कों पर चाय और किताबें बेचने के दौरान पुलिस के अधिकारियों और कर्मियों का रवैया सहयोगात्मक रहा। वे नारेबाजी और प्रदर्शन के दौरान चाक-चौबंध रहे लेकिन डीपीआई आने वालों का आना-जाना भी सुचारू बनाए रहे। उधर, डीपीआई के चौकीदार इस दरमियान जरूर आक्रोशित होते रहे। वे कभी मीडियाकर्मियों को रोकते, उनसे भिड़ते तो कभी दूरदराज से अपने काम के लिए आए शिक्षकों से। चौकीदार अधिकारियों के निर्देश के नाम पर अक्सर इसी तरह की हुज्जत करते रहते हैं।
शाम 4 बजे ओबीसी शिक्षक अभ्यर्थियों में से एक सदस्य महेंद्र यादव के पास मंत्रालय के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग से मिलने के लिए कॉल आया। इसके बाद प्रतिनिधि के रूप में पांच सदस्य तैयार हुए तो दोबारा फोन आया कि अब आप कल आएं। हालांकि ये सब बेहद गोपनीय तरीके से किया जा रहा है।