पहले खुद को समझें
डॉ गुलाब कोठारी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा हमें पहले खुद को समझने की जरूरत है। जब हम खुद को समझ जाएंगे तभी दूसरों को समझा सकते हैं। हमें ये समझना होगा कि हम क्या है। हमें जीवन को अपने भीतर देखना है। जीने की पहली शर्त है मैं पहले खुद को जानूं। उन्होंने कहा कि मैं पहले भी कई बार माखनलाल विश्वविद्यालय आ चुका हूं। ऐसा पत्रकार बनिए जो समाज के लिए कुछ कर सके। हमें इंसान बनकर जीना है।
डॉ गुलाब कोठारी ने कहा- जो बदलता है वही सभ्यता है। पत्रकार को सबसे पहले खुद से सवाल करना चाहिए। खुद का साक्षात्कार करना सीखना चाहिए। पत्रकारिता को समझना है तो पहले खुद को समझें। आपको वहीं लोग याद होंगे जिन्होंने दिल से लिखा और आपने दिल से पढ़ा।
मेरी पत्रकारिता में मेरा सपना क्या है हम उसी तरह से काम करते हैं। क्या नहीं करना है हम इस पर चिंतन नहीं करते हैं। हम क्या करना चाहते हैं ये तो तय हैं पर क्या नहीं करना है हम कभी इस बारे में नहीं सोचते हैं।
निजी संपदा है धर्म
धर्म को लेकर डॉ गुलाब कोठारी ने कहा- मेरा धर्म मेरे पिता, भाई, बीबी और बेटी का नहीं हो सकता है क्योंकि धर्म व्यक्तिगत है। मेरा स्वाभाव ही मेरा ही धर्म है। समाज मुझे जिस रूप में जानता है वही मेरा धर्म है।
धर्म को लेकर डॉ गुलाब कोठारी ने कहा- मेरा धर्म मेरे पिता, भाई, बीबी और बेटी का नहीं हो सकता है क्योंकि धर्म व्यक्तिगत है। मेरा स्वाभाव ही मेरा ही धर्म है। समाज मुझे जिस रूप में जानता है वही मेरा धर्म है।