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शिवराज के वित्त मंत्री के खिलाफ मैदान में उतरा भाजपाई दिग्गज, 5 बार सांसद रह चुके हैं कुसमरिया

locationभोपालPublished: Nov 10, 2018 09:14:38 am

Submitted by:

shailendra tiwari

शिवराज के वित्त मंत्री के खिलाफ मैदान में उतरा भाजपाई दिग्गज, 5 बार सांसद रह चुके हैं कुसमरिया

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शिवराज के वित्त मंत्री के खिलाफ मैदान में उतरा भाजपाई दिग्गज, 5 बार सांसद रह चुके हैं कुसमरिया

भोपाल. नामांकन के अंतिम दिन दोनों ही दलों में बगावत देखने को मिला है। भाजपा और कांग्रेस के कई दिग्गज नेता पार्टी से बागी होकर निर्दलीय मैदान में आ गए हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ रामकृष्ण कुसुमारिया भी बागी हो ग हैं। उऩ्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन किया है। कुसमारिया अभी बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं। डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया ने दमाेह आैर पथरिया विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन फॉर्म भरा। इस बार वो दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे। बताया जा रहा है कि डॉ. कुसमारिया को दमोह विधानसभा क्षेत्र से फॉर्म भरने से रोकने के लिए भाजपा प्रत्याशी और शिवराज सरकार के वित्त मंत्री जयंत मलैया ने उनके घर पर जाकर मनाने का प्रयास किया था पर कुसुमारिया को मनाने में सफल नहीं रहे।

कौन हैं रामकृष्ण कुसुमारिया: रामकृष्ण कुसुमारिया भाजपा के दिग्गज नेता है और बुंदेलखंड में पार्टी के बड़े नेता हैं। कुसुमारिया राजनगर से टिकट मांग रहे थे। वो भाजपा के पांच बार के सांसद, दो बार के विधायक और शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री रहे चुके हैं। हालांकि रामकृष्ण कुसमरिया 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में अपना चुनाव हार गए थे। उसके बाद पार्टी ने उन्हें बुंदेलखंड विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया था।
दो पूर्व विधायकों ने भी भरा नामांकन: नामांकन के आखिरी दिन भोपाल जिले के दो पूर्व विधायकों ने पार्टी से बगावत कर नामांकन भरा है। पार्टी से टिकट नहीं मिलने से नाराज हुजूर सीट से जितेंद्र डागा और बैरसिया से ब्रह्मानंद रत्नाकर ने निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया। बैरसिया से भाजपा ने विष्णु खत्री को फिर से टिकट दिया है। विष्णु संघ के प्रचारक रह चुके हैं। दूसरी बार टिकट मिलने पर वह पूर्व विधायक ब्रह्मानंद रत्नाकर को मनाने उनके घर भी गए थे। इधर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के करीबी जितेंद्र डागा ने भी हुजूर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल किया है। 2008 में जितेंद्र डागा को सुषमा स्वराज के कहने पर ही टिकट मिला था। हालांकि हत्या के मामले उनका नम आने के बाद से 2013 में पार्टी ने उन्हें दोबारा टिकट नहीं दिया था।
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