उनका सलेक्शन मेडिकल के लिए हुआ था, लेकिन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा स्कॉलरशिप दिए जाने से उन्हें मछलियों पर ही शोध करना पड़ा। डॉ. सरिता के पति पंकज श्रीवास्तव औद्योगिक विकास निगम में मैनेजिंग डायरेक्टर थे। उनका स्थानांतरण जबलपुर समेत जहां-जहां होता रहा, वहां डॉ. सरिता ने महिलाओं को कुकिंग, बोनसाई पौधों से घर का बगीचा, दरो-दीवार सजाना संवारना सिखाया। उन्होंने कुकिंग, बोनसाई और ब्यूटीशियन के क्षेत्र में 300 से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षण देकर सेटल किया।
सौंदर्य के क्षेत्र में किया काफी काम
ब्यूटीशियन के फील्ड में डॉ. सरिता एक बड़ा नाम बनकर उभरीं। समाजसेवा तो वे वर्ष 1990 से कर रही हैं, लेकिन ब्यूटी पॉर्लर एसोसिएशन में वर्ष 2004 से उपाध्यक्ष और वर्ष 2011 से अध्यक्ष हैं। ब्यूटी पॉर्लर एसोसिएशन बनाने के पीछे उनका उद्देश्य सौंदर्य के क्षेत्र में साइंटिफिक एप्रोच को बढ़ाना था। जबलपुर में उनकी एक सहेली ब्यूटी पॉर्लर संचालित करती थीं और ऑयली स्किन का ट्रीटमेंट भी ऑयली मीडियम से कर रही थीं, इस पर उन्होंने टोका और समझाया कि इसके लिए दूसरा उपयोग कारगर होगा। वहीं से अपनी सहेली के कहने पर ब्यूटीशियन के क्षेत्र में कदम रखा और मील का पत्थर बनीं। सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया। इसके साथ ही वे यह भी बताती रहती हैं कि अभावग्रस्त महिलाएं कम से कम संसाधनों से स्वयं को किस तरह सजा-संवार सकती हैं, स्वस्थ रख सकती हैं।
ब्यूटीशियन के फील्ड में डॉ. सरिता एक बड़ा नाम बनकर उभरीं। समाजसेवा तो वे वर्ष 1990 से कर रही हैं, लेकिन ब्यूटी पॉर्लर एसोसिएशन में वर्ष 2004 से उपाध्यक्ष और वर्ष 2011 से अध्यक्ष हैं। ब्यूटी पॉर्लर एसोसिएशन बनाने के पीछे उनका उद्देश्य सौंदर्य के क्षेत्र में साइंटिफिक एप्रोच को बढ़ाना था। जबलपुर में उनकी एक सहेली ब्यूटी पॉर्लर संचालित करती थीं और ऑयली स्किन का ट्रीटमेंट भी ऑयली मीडियम से कर रही थीं, इस पर उन्होंने टोका और समझाया कि इसके लिए दूसरा उपयोग कारगर होगा। वहीं से अपनी सहेली के कहने पर ब्यूटीशियन के क्षेत्र में कदम रखा और मील का पत्थर बनीं। सैकड़ों महिलाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया। इसके साथ ही वे यह भी बताती रहती हैं कि अभावग्रस्त महिलाएं कम से कम संसाधनों से स्वयं को किस तरह सजा-संवार सकती हैं, स्वस्थ रख सकती हैं।
उन्होंने ब्यूटी पॉर्लर एसोसिएशन सिर्फ 25 मेंबर्स से शुरू किया था, लेकिन आज 200 से अधिक सदस्य हैं। इनमें भोपाल के सिवा सीहोर, होशंगाबाद, गंज बासोदा, विदिशा आदि की महिलाएं भी जुड़ी हैं। उन्होंने होशंगाबाद और विदिशा रेलवे स्टेशन पर व्हील चेयर प्रदान की हैं। नेहरू नगर स्थित मदर टेरेसा संस्था में बच्चों के लिए कई चीजें प्रदान कीं। डॉ. सरिता को कुकिंग, बोनसाई व ब्यूटीशियन के फील्ड में बेहतर कार्य करने के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार भी प्रदान किए जा चुके हैं।
केस 1
एक महिला का पति डॉक्टर के यहां अटेंडेंट था। वह बहुत परेशानी में थी। महिला कुछ करना चाहती थी, लेकिन उसे कोई अवसर नहीं मिल रहा था। उसे डॉ. सरिता ने अपने यहां रखकर प्रशिक्षण दिया और स्थापित करने में मदद की। उस महिला के पास आज खुद का अच्छा व्यवसाय, गाड़ी, घर आदि सबकुछ है।
एक महिला का पति डॉक्टर के यहां अटेंडेंट था। वह बहुत परेशानी में थी। महिला कुछ करना चाहती थी, लेकिन उसे कोई अवसर नहीं मिल रहा था। उसे डॉ. सरिता ने अपने यहां रखकर प्रशिक्षण दिया और स्थापित करने में मदद की। उस महिला के पास आज खुद का अच्छा व्यवसाय, गाड़ी, घर आदि सबकुछ है।
केस 2
फॉरेस्ट विभाग में एक अफसर की बेटी मूक-बधिर थी। 12वीं कक्षा तक उन्होंने अपनी बेटी को आशा निकेतन में रखा। माता-पिता बेटी के लिए बहुत चिंतित थे। वे चाहते थे कि बेटी कुछ ऐसा सीख जाए, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके। उस लड़की को डॉ. सरिता ने इशारों से प्रशिक्षण देकर अच्छी ब्यूटीशियन बना दिया। इसके बाद उस लड़की ने त्रिलंगा क्षेत्र में अपना व्यवसाय शुरू किया और इस समय वह लड़की शादी के बाद दिल्ली में सेटिल हो चुकी है।
फॉरेस्ट विभाग में एक अफसर की बेटी मूक-बधिर थी। 12वीं कक्षा तक उन्होंने अपनी बेटी को आशा निकेतन में रखा। माता-पिता बेटी के लिए बहुत चिंतित थे। वे चाहते थे कि बेटी कुछ ऐसा सीख जाए, जिससे वह आत्मनिर्भर बन सके। उस लड़की को डॉ. सरिता ने इशारों से प्रशिक्षण देकर अच्छी ब्यूटीशियन बना दिया। इसके बाद उस लड़की ने त्रिलंगा क्षेत्र में अपना व्यवसाय शुरू किया और इस समय वह लड़की शादी के बाद दिल्ली में सेटिल हो चुकी है।