क्रांति की अलख जगाता है बिरजई
चइता का दोस्त बिरजई पुलिस और नेताओं से अपने समाज के लिए लड़ता है। इधर बैरागी बाबू रामलीला कराते हैं, तो छेदी बाबू रासलीला। चइता की पत्नी मेघिया भी चुनाव लड़ती है और दो वोट से जीत जाती है, लेकिन चइता की मौत से अर्ध विक्षिप्त हो मेघिया जीत की घोषणा सुनकर पति की समाधि पर पहुंचती है। जीत कर भी हरिजन टोले के सौभाग्य व स्वाभिमानी पीढ़ी को देखने के लिए मेघिया जिंदा नहीं रह जाता।
चइता का दोस्त बिरजई पुलिस और नेताओं से अपने समाज के लिए लड़ता है। इधर बैरागी बाबू रामलीला कराते हैं, तो छेदी बाबू रासलीला। चइता की पत्नी मेघिया भी चुनाव लड़ती है और दो वोट से जीत जाती है, लेकिन चइता की मौत से अर्ध विक्षिप्त हो मेघिया जीत की घोषणा सुनकर पति की समाधि पर पहुंचती है। जीत कर भी हरिजन टोले के सौभाग्य व स्वाभिमानी पीढ़ी को देखने के लिए मेघिया जिंदा नहीं रह जाता।