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पिता पर शक करते हैं बच्चे, घर छोडऩे के बाद देते हैं तलाश के लिए विज्ञापन

locationभोपालPublished: Dec 26, 2019 08:27:01 am

आदर्श शिक्षा एवं सेवा समिति की ओर से शहीद भवन में बुधवार को नाटक बाप रे बाप का मंचन किया गया

पिता पर शक करते हैं बच्चे, घर छोडऩे के बाद देते हैं तलाश के लिए विज्ञापन

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भोपाल. आदर्श शिक्षा एवं सेवा समिति की ओर से शहीद भवन में बुधवार को नाटक बाप रे बाप का मंचन किया गया। डॉ. केपी सक्सेना द्वारा लिखित नाटक का निर्देशन सुमित द्विवेदी ने किया। हास्य व्यंग्य से लबरेज नाटक को देखकर दर्शक हंस-हंसकर से लोट-पोट हो गए।
नाटक में वर्तमान समाज में घर-घर में हो रहीं घटनाओं पर करारा प्रहार किया गया। नाटक में दिखाया कि एक बुजुर्ग अचानक घर से गायब हो जाता है। उसके गायब होने के बाद घर में क्या स्थितियां पैदा होती हैं, जिससे हास्य होता है। नाटक के जरिए समाज को बुजुर्गों को सम्मान देने का संदेश दिया गया। बुजुर्गों की मौजूदगी का महत्व उनके रहने पर भले न समझ आए, उनके जाने के बाद समझ में जरूर आता है।
मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी

इस नाटक की कहानी एक मध्यमवर्गीय परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है। इस परिवार में पिता अपने बच्चों के व्यवहार से काफी परेशान है और दूसरी ओर बच्चों को लगता है कि उनके पिता का किसी और स्त्री से संबंध है। इसी बीच नाटक में रोचक मोड़ तब आता है जब वह घर से गायब हो जाते हैं। इसी क्रम में वह अखबार में विज्ञापन देकर उनके पिता को ढूंढऩे वाले व्यक्ति को पुरस्कार देने की सूचना देते हैं।
पुरस्कार का लालच

1.15 घंटे के नाटक में अवसरवादी सोच बदलने और माता-पिता का सम्मान करने का संदेश रहा। नाटक में दिखाया गया कि पुरस्कार के लालच में कई लोग अपना रूप बदलकर बच्चों के पिता होने का दावा करते हैं, लेकिन उसी वक्त बच्चों के असली पिता आ जाते हैं और वह बताते है कि इस सब की क्या जरूरत थी। लेकिन तुम लोगों ने अपनी व्यस्तता और मुझे नजरअंदाज करने के कारण सुना ही नहीं कि मैंने क्या कहा। इसी के साथ नाटक का अंत होता है।
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