इस नाटक में राजनीति के दोगलेपन को दिखाया गया है, जो कि समाज में परेशानी छोड़ जाता है। वर्तमान समय में सरकार, समाज और समुदाय के उत्थान के लिए जगह-जगह अभियान तो चला रही है, लेकिन टीवी डिबेट पर आपस में लड़ रहे हैं। नाटक में कुछ संवादों के दौरान अपशब्द भाषा का भी इस्तेमाल किया गया। वर्तमान प्रसंगों के माध्यम से राजनीति पर कटाक्ष किया गया है।
नाटक की शुरुआत सोन और नर्मदा के प्रेम से होती है। इस दौरान वह आपस में बातचीत करते हैं। भू-लोक से देवलोक पहुंचते हैं। वहीं दिखाया गया कि वर्तमान में सोनू और रेवा एक दूसरे से प्रेम करते हैं, वह आपस में बात करते हैं कि उनके घर वाले इस प्रेम को नहीं मानेंगे। आगे दिखाया गया कि सोनू और रेवा के पिता को उनके प्रेम के बारे में पता चला जाता है। दोनों के पिता राजनीति से जुड़े होते हैं, जिसके कारण एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं।
इससे पहले उनके साथ भागने पर शहर में दंगा भड़का दिया जाता है। इस मुद्दे को दोनों का परिवार राजनीतिक रूप से भुनाने की कोशिश करता है। पिता दोनों को एक-दूसरे से मिलने नहीं देते हैं, लेकिन जब रेवा, सोनू से मिलने जाती है तो उनके पिता दोनों हत्या कर देते हैं। डायरेक्टर का कहना है कि ये कहानी छह माह पहले ही लिखी गई है। इसका यह पांचवां और भोपाल में पहला मंचन है।