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पांच साल तक के बच्चों में बढ़ रहा खौफनाक रोग, हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में खुलासा

सर्वे रिपोर्ट ने चिंता बढ़ाई  

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भोपाल. पांच साल तक के बच्चों में एनीमिया की कमी चिंता का विषय बनती जा रही है। दरअसल, स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा करोड़ों रुपए का बजट खर्च करने के बाद ये स्थिति है। एनएफएचएस (नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे ) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। अगर ऐसे में कोरोना बढ़ा तो बच्चों की स्थिति पर असर पड़ सकता है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि 6 महीने से 59 महीने (5 साल) की आयु वाले बच्चों में एनीमिया की समस्या बढ़ी है। पांच साल पहले 68.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिया के शिकार होते थे, अब ये आंकड़ा कम होने की बजाय बढकऱ 72.7 प्रतिशत होकर बढ़ गया है। हालांकि शिशु के मामले में मौत का आंकड़ा कम हुआ है, रिपोर्ट में मृत्यु दर कम हुई है।

वर्ष 2015-16 के आंकडों के अनुसार प्रदेश में 15 साल से कम उम्र की जनसंख्या 30.3 प्रतिशत थी। 2020-21 में यह घटकर 26.5 प्रतिशत हो गया है। हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार 15 साल से कम उम्र की आबादी में 27.5 प्रतिशत ग्रामीण और 23.9 प्रतिशत शहरी जनसंख्या है। महिला नसबंदी 42.2 फीसदी से बढकऱ 51.9 प्रतिशत हो गई।

ग्रामीण क्षेत्र में महिला नसबंदी 55.7 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 41.5 प्रतिशत है। पुरूष नसबंदी में न के बराबर सुधार हुआ। 0.5 फीसदी से महज 0.7 फीसदी पुरूष नसबंदी करा रहे हैं।

रिपोर्ट से ये भी हुआ उजागर
मोबाइल यूजर्स महिलाओं में 9.8 प्रतिशत की बढोतरी, 28.7 प्रतिशत से बढकऱ 38.5 प्रतिशत हुईं
15 साल से अधिक उम्र के 46.5 प्रतिशत पुरूष तो 10.2 प्रतिशत महिलाएं करतीं हैं तंबाकू का सेवन
2019-20 में मात्र 10.5 प्रतिशत बच्चे प्री प्राइमरी स्कूल गए। शहरी क्षेत्रों में इस आयु के 15.2 फीसदी और ग्रामीण इलाकों में मात्र 9 प्रतिशत बच्चे स्कूल गए।
अल्कोहल : 15.1 फीसदी पुरूष और 1 प्रतिशत महिलाएं लेती हैं।

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बाल विवाह:लड़कियों की स्थिति में सुधार
18 साल से कम उम्र में शादी के मामले में लड़कियों की स्थिति सुधरी है। पांच साल पहले 32.4 फीसदी लडकियों के बाल विवाह होते थे। 2020-21 की रिपोर्ट के अनुसार अब 23.1 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो रही है।