अभी ये मसाजिद कमेटी के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए है। इसके तहत ये कर्मचारी ब्लू ड्रेस में कर्मचारी दफ्तर आएंगे। हालांकि इन्हें ये छूट दी गई है कि वह इस रंग का कुर्ता पाजामा पहने या फिर पेंट शर्ट। फिर भी अधिकांश पेंट शर्ट पहन कर आ रहे हैं। भोपाल सहित रायसेन और सीहोर के करीब 551 इमाम और मुअज्जिनों की तनख्वाह के लिए ये दफ्तर बना है। ये करीब 350 मस्जिदों में हैं इन मस्जिदों की देखरेख भी कमेटी के तहत होती है। यहां आने वालों में ज्यादातर दाड़ी टोपी और कुर्ता पहनने वाले आते हैं। ऐसे में पहनावे के लिए एक अलग कलर तय करने से कुछ ऐतराज भी जताने लगे हैं।
मर्जर एक्ट के तहत बनी मसाजिद कमेटी मसाजिद कमेटी की व्यवस्था मर्जर एक्ट के तहत लागू की गई है। रियासत मर्ज होते समय तात्कालीन नवाबों ने यहां की मस्जिदों की व्यवस्था सरकार द्वारा उठाए जाने का मसौदा किया था। इसी लिहाज से अब तक सरकारों द्वारा मुआवजे के रूप में एक निश्चित राशि मसाजिद कमेटी को दी जाती है, जिससे रियासत भोपाल की मस्जिदों के ईमाम-मोअज्जिनों की तन्ख्वाह का वितरण होता है।
शरियत से जुड़े मामलों के जानकार रहते हैं मौजूद मसाजिद कमेटी में शरियत से जुड़े मामलों के जानकार मौजूद रहते हैं। इनमें शहर काजी सहित कई उलेमा शामिल हैं। यहां आने वालों में इमाम-मोअज्जिनों की संख्या भी ज्यादा है।
0000 मसाजिद कमेटी में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के लिए ये ड्रेस कोड है। ब्लू कलर में ये कर्मचारी पेंट शर्ट या फिर कुर्ता पाजामा जो भी चाहे पहन आ सकते हैं। हाल में इसे लागू किया गया है।
एसएम सलमान, सचिव मसाजिद कमेटी