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स्कूलों में छेड़छाड़ और दुष्कर्म का शिकार हो रही मासूमों को बचाने सीख रहीं ड्राइवरी

locationभोपालPublished: Nov 04, 2018 08:52:26 pm

Submitted by:

Rohit verma

स्कूली वाहनों और सिंगल वुमन के वाहनों का चालक बनने की ख्वाइस
 

womens driver

स्कूलों में छेड़छाड़ और दुष्कर्म का शिकार हो रही मासूमों को बचाने सीख रहीं ड्राइवरी

भोपाल से रोहित वर्मा की रिपोर्ट. घरों की चार दीवारी से निकलकर महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी पैठ जमा रही हैं। ये राजनेता, वकील, डॉक्टर, शिक्षक के साथ ही कई अन्य प्रोफेसन भी हैं, जिसमें महिलाओं की सहभागिता बढ़ रही है। कुछ ऐसे काम भी हैं, जिसमें अभी तक सिर्फ पुरुषों का राज चलता था। पुरुषों के इस मिथक को तोड़ते हुए महिलाएं अब वहां भी अपना झंडा बुलंद करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं।

राजधानी की कुछ महिलाएं ऐसे ही चैलेंज को चेस करने ड्राइवर, राज मिस्त्री जैसे कामों में अपना हुनर दिखाने को तैयार हैं। राजधानी की संगिनी नामक संस्था द्वारा इन दिनों ऐसी ही कुछ महिलाओं को ड्राइवर का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। इसमें करीब 20 महिलाएं शामिल हैं, जिनमें से पांच महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर अब अब ड्राइवर के नौकरी करने के लिए तैयार हैं।

 

इन महिला ड्राइवरों का कहना है कि स्कूली वाहनों के ड्राइवर-कंडेक्टर द्वारा मासूम बच्चियों के साथ छेड़छाड़, दुष्कर्म जैसे मामले आए दिन सामने आ रहे हैं। ऐसे में मन में ख्याल आया कि क्यों न स्कूली वाहनों में ड्राइवर बनकर मासूमों को बचाने की पहल की जाए। इन महिला ड्राइवरों को प्रशिक्षण देने वाले अतुल गोदिया ने बताया कि राजधानी की यह महिलाएं ड्राइवर बनकर देश और समाज को अपनी सेवाएं देना चाहती हैं, बधाई के पात्र हैं।

समाज के लिए एक पहल
सादी के एक साल बाद काम काज के लिए घर से बाहर निकल पड़ी। पहले एक संस्था द्वारा गरीब बस्तियों में बच्चों को पढ़ाना शुरू किया। पिछले पांच महीने से ड्राइवरी सीख रही हैं। अब तक इस पेशे में सिर्फ पुरुषों का ही एकाधिकार बना हुआ है, जिसे तोडऩे के साथ ही लोगों को यह बताना है कि महिलाएं वह सब कर सकती हैं, हम किसी भी फील्ड में अब पीछे नहीं हैं।
– अरुणा डहरवाल

 

चलाएंगे स्कूली वाहन
स्कूली वाहनों में मासूम बच्चियों के साथ हो रहे छेड़छाड़ और दुष्कर्म जैसे मामलों ने मुझे बिचलित कर दिया। मैं हमेशा सोचती थी कि इन मासूमों की कैसे मदद की जाए। इससे पहले मैं घरों में खाना बनाने का काम करती थी। एक साल से ड्राइवरी सीख रही हूं। स्कूलों में वाहन चालक का जॉब ढॅूढ रही हूं, ताकि संकल्प पूरा कर सकूं।
-रेखा यादव, सांईबाबा नगर

सिंगल वुमेन की मदद
चार माह से ड्राइवरी सीख रही हूं। मेरा मकसद सिंगल वुमेन, नौकरी पेशा महिलाओं की मदद करना है। इनका कहना है कि जब महिलाओं के वाहन में महिला ड्राइवर होंगी तो उन्हें छेड़छाड़ जैसी परेशानियों से राहत मिल सकेगी। इसके साथ ही कोचिंग जाने वाली छात्राओं के वाहनों में भी ड्राइवरी कर उनकी मदद की जा सकती है।
– अर्चना ढोके, कोलार

 

खुद के पैरों पर खड़े होना है
ड्राइवरी सीखने के पीछे हमारा मकसद इस पेशे से खुद के पैरों पर खड़े होना है। इसके साथ ही हम महिलओं, मासूम बच्चियों की मदद कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने पास एक और हुनर होगा, जो अन्य महिलाओं से अलग होगा। इससे स्कूल व कोचिंग क्लासेस आते जाते समय मासूम बच्चियों के साथ होने वाले अन्याय को रोका जा सकता है।
रानी चौरसिया, सर्वधर्म
रोजगार के साथ देश और समाज की सेवा भी
परिवार में अकेली हाने के कारण खुद परिवार का भरण-पोषण करती हूं। इसके लिए अभी किसी दुकान या घरों में नौकरी करनी पड़ती है। अब ड्राइवरी सीख रही हूं। इसके माध्यम से हम जहां महिलाओं और बच्चियों की मदद कर सकेंगी, सके साथ ही खुद के लिए भी रोजगार मिल जाएगा, इससे हमें आर्थिक मदद भी मिलेगी। इनका कहना है कि जब महिलाओं के वाहन में महिला ड्राइवर होंगी तो उन्हें छेड़छाड़ जैसी परेशानियों से राहत मिल सकेगी। मैं पिछले चार महीने से ड्राइवरी की ट्रेनिंग ले रही हूं।
– आशा मेहरा, सांई बोर्ड
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