यहां सब्जी की दुकानें, गन्ने की चरखी सहित फल-फूल और खाने पान के ठेले बड़ी संख्या में खड़े किए जा रहे हैं। इसके कारण शाम होते ही यहां भारी भीड़ होने लगती है।
एक दुकानदार से पूछने पर उन्होंने बताया कि नगर निगम द्वारा रोजाना 10 रुपए की पर्ची काटी जाती है। इसके अलावा कभी-कभार नगर निगम वाले आते हैं, बाकी दिन कोई पूछने वाला नहीं होता। नाम नहीं छापने की शर्त पर दुकानदार ने बताया कि हम पिछले तीन साल से यहां पर अपना ठेला खड़े कर रहे हैं, लेकिन आज तक न तो किसी ने पूछा और न ही इसके लिए किसी से अनुमति की जरूरत ही पड़ी।
ऐसा नहीं है कि नगर निगम के जिम्मेदारों को वर्षों से अवैध रूप से चल रहे इस बाजार से की जानकारी नहीं है। इसके बाद भी आंख मूदे बैठे हैं। इसके साथ ही जेके रोड से लेकर पूरे मुख्य मार्ग पर अतिक्रमण कर दुकानें लगाई जा रही हैं।
ठेले रेहडिय़ों पर मिलने वाली खाद्य सामग्री घटिया क्वालिटी की होती है, जिसके खाने से लोगों की सेहत पर असर पड़ रहा है। ऐसे में लोगों को दुकानों से ही खाद्य सामग्री खरीदनी चाहिए।
विनोद वाणी, व्यवसायी इंद्रपुरी मार्र्केट
दकानों के आगे ठेले लगा लेने से दुकानों पर आने वाले ग्राहकों को वाहनों की पार्किँग के लिए जगह ही नहीं बचती है। इससे ग्राहक दुकानों पर आने से बचते रहते हैं।
रोहित मेघानी, व्यवसायी व समाज सेवी
ठेला दुकानदारों द्वारा कम दाम में सामानों की बिक्री की जा रही है। बाजार में महंगे दामों में दुकानें लेकर चलाने वाले दुकानदार दिनभर ग्राहकों का इंतजार करते बैठै रहते हैं,जिससे उनका नुकसान हो रहा है।
किशोर प्रजापति, अध्यक्ष, इंद्रपुरी व्यापारी महासंघ