(कोलार के सरकारी अस्पताल में जिस प्रकार मरीजों की संख्या है, उस हिसाब से दवा नहीं मिलती है।)
देवेन्द्र शर्मा
भोपाल। मंगलवार समय सुबह 10 बजे हैं, राजहर्ष कॉलोनी निवासी पराग सावरकर कोलार के सरकारी अस्पताल में सर्दी-जुकाम की शिकायत लेकर पहुंचे हैं। यहां दो नंबर कमरे में एक लेडी डॉक्टर बैठी हैं। पराग ने उन्हें बताया कि सर्दी के साथ उसे बुखार भी आ रहा है। डॉक्टर ने एक्स-रे देखा। चेकअप किया और कहा- आप भाप लीजिए। इसके बाद कागज पर कुछ दवाएं लिखीं। डॉक्टर ने स्पष्ट कहा कि ये यहां नहीं मिलेगी, आपको बाहर से लेनी होंगी।
126 प्रकार की दवाइयां होनी चाहिए
यह स्थिति तब है, जब सरदार वल्लभभाई पटेल दवा योजना के तहत यहां फ्री में दवा देना तय किया गया है। इसमें बुखार से लेकर सामान्य मर्ज की सारी दवाएं देनी जरूरी है। इस योजना के तहत यहां 126 तरह की दवाएं देना तय है और अस्पताल प्रबंधन सभी दवाएं होने की बात कह रहा है, बावजूद मरीजों को बाहर की दवाएं लिखी जा रही हैं।
निजी अस्पतालों को फायदा
कोलार के सरकारी अस्पताल की बदहाली के कारण मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं। यही वजह है कि बीते तीन साल में कोलार में निजी अस्पतालों की संख्या 30 से अधिक हो गई।
यहां आपको हमेशा मरीज मिलेंगे।
पर्याप्त सुविधाएं हैं
दवा की कोई कमी हमारे अस्पताल में नहीं है। यदि इस तरह का कोई मामला सामने आया है तो उसे दिखवाया जाएगा। अस्पताल में मरीजों के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं।
डॉ. ज्योत्सना तिवारी, अस्पताल प्रभारी