scriptसर्ट-इन की रिपोर्ट के कारण अटकी हजारों करोड़ के 42 टेंडरों की जांच, मांगने पर भी नहीं दी जा रही | Due to the report of the Cert-in, 42 tenders worth thousands... | Patrika News

सर्ट-इन की रिपोर्ट के कारण अटकी हजारों करोड़ के 42 टेंडरों की जांच, मांगने पर भी नहीं दी जा रही

locationभोपालPublished: Nov 20, 2019 03:01:55 pm

Submitted by:

Radhyshyam dangi

सभी टेंडरों में टेंडर की पुष्ठि करने के बाद आधिकारिक रिपोर्ट सौंपने से बच रही केंद्रीय तकनीकी एजेंसी
हैश वेल्यू बदलने से सामने आया सच, अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 के बीच में छेड़छाड़ की गई है इन टेंडरों में

ई-टेंडर घोटाले

ई-टेंडर घोटाले

भोपाल। ई-टेंडर घोटाले में 9 टेंडरों की जांच के दौरान आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ट (ईओडब्ल्यू) को 42 ऐसे टेंडरों में टेंपरिंग के सबूत मिले थे जिनकी अब तक जांच नहीं हो पाई है। यह सभी टेंडर हजारों करोड़ रुपए के हैं। ईओडब्ल्यू को सभी 42 टेंडरों में टेंपरिंग की पुष्ठि होने के बाद केंद्र सरकार की इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) से तकनीकी जांच के लिए अगस्त में ही लिख दिया।

रिपोर्ट सबसे विश्वसनीय होती हैं
सर्ट-इन ने सभी 42 टेंडरों में टेंपरिंग करने, हैश वेल्यू बदलने और टेंडरों की बिड वेल्यू बदलने की प्राथमिक तौर पर पुष्ठि भी कर दी, लेकिन अब तक फाइनल तकनीकी जांच रिपोर्ट ही नहीं सौंपी। इसके कारण ईओडब्ल्यू की जांच अधर में लटक गई। गौरतलब है कि जिन 9 कंपनियों के खिलाफ ई-टेंडर घोटाले में भी सर्ट-इन की रिपोर्ट के बाद ही केस दर्ज किया है। सर्ट-इन की रिपोर्ट सबसे विश्वसनीय होती हैं।

जल्द रिपोर्ट भेज दी जाएगी
इधर, ईओडब्ल्यून ने सभी 42 टेंडरों में 42 अलग-अलग केस दर्ज करने की तैयारी में है, लेकिन सर्ट-इन ने रिपोर्ट ही नहीं दी। सूत्रों का कहना है कि सर्ट-इन के जिस अधिकारी ने यह रिपोर्ट तैयारी की है, वह अस्वस्थ्य हो गए। ईओडब्ल्यू ने बार-बार सर्ट ने संपर्क किया, लेकिन एक ही जवाब मिल रहा है कि जल्द रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

अवकाश पर चले गए
दिलचस्प बात यह है कि बीच में सर्ट-इन ने रिपोर्ट भेजने की तैयारी भी कर ली थी, लेकिन ईओडब्ल्यू से फिर नए सिरे से कुछ तकनीकी जानकारी मांग ली। जबकि इसके पहले टेंपरिंग की अंतरिम जानकारी दी जा चुकी थी। इसके बाद अक्टूबर में सर्ट-इन द्वारा चाही गई जानकारी भी भेज दी गई, लेकिन अब फिर बताया जा रहा है कि रिपोर्ट तैयार करने वाले अधिकारी फिर से लंबे अवकाश पर चले गए हैं। इसके कारण रिपोर्ट फिर अटकी हुई है।

इसलिए जताई जा रही आशंका
सभी 42 टेंडर भाजपा सरकार के कार्यकाल के हैं। उनके कार्यकाल में जिन विभागों के टेंडरों में टेंपरिंग की गई हैं, विभागीय टेंडर कमेटी, स्टेट फाइनेंस कमेटी (एसएफसी), तकनीकी कमेटियों में शामिल मंत्री, अध्यक्ष-उपाध्यक्ष (मुख्यमंत्री-मंत्री) प्रमुख सचिव, सचिव से लेकर कई आईएएस अफसरों के जरिए यह टेंडर प्रक्रिया पूरी की गई है। वहीं, संबंधित विभागों की टेंडर ओपनिंग अथॉरिटी भी इसमें शामिल है।

इन्हीं के हस्ताक्षरों से 10 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडरों की अनुमतियां जारी हुई है। इसमें भाजपा सरकार के कई दिग्गज नेताओं-मंत्रियों के हस्ताक्षरों से यह काम हुआ। वहीं, कई आईएएस अफसर भी शामिल है जिनमें से अब कुछ दिल्ली में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ है। उनके हस्ताक्षरों से भी इन टेंडरों को अनुमतियां-स्वीकृतियां मिली है। आशंका है कि केंद्र में बैठे तत्कालीन अधिकारी और भाजपा के भाजपा के पूर्व मंत्रियों ने सर्ट-इन पर दबाव बनाकर रिपोर्ट को अटकाया जा रहा है।


ईओडब्ल्यू ने जुलाई, 2019 में ही इन टेंडरों को जांच में शामिल कर लिया था। इसके बाद केंद्र सरकार के अधीन इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सर्ट-इन) से जांच करवाने के लिए लिखा। जिन 42 टेंडरों की तकनीकी जांच रिपोर्ट सर्ट-इन में अटकी है, उनकी स्क्रूटनी 3.50 लाख टेंडरों में से की गई है।

इन सभी टेंडरों में अनाधिकृत एक्सेस करके इनकी बिड वेल्यू बदली गई है। इनमें से कई टेंडरों का काम तो पूरा भी हो चुका है। कई का काम अभी चल रहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो