scriptDussehra 2020: किसी के लिए बुराई तो इनके लिए पूज्यनीय है लंकेश | dussehra 2020 story of ravan makers | Patrika News

Dussehra 2020: किसी के लिए बुराई तो इनके लिए पूज्यनीय है लंकेश

locationभोपालPublished: Oct 25, 2020 08:40:37 am

Submitted by:

Manish Gite

Patrika.com पर पेश है रावण का पुतला बनाने वाले कलाकारों के मन की बात…।

dussehra 2020 story of ravan makers

dussehra 2020 story of ravan makers

भोपाल। जब दुनियाभर में बुराई के प्रतीक को जलाकर जश्न मनाया जाता है, वहीं कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो रावण को भगवान मानते हैं। क्योंकि यही रावण कई परिवारों को सालभर की सौगात दे जाता है।

patrika.com पर पेश है रावण का पुतला बनाने वाले कलाकारों के मन की बात…।

 

https://youtu.be/GD89Ew0-qA4

हर साल दशहरा कुछ परिवारों के लिए दिवाली बनकर आता है। क्योंकि रावण का पुतला बनाने वाले इन परिवारों के लिए सालभर के राशन का बंदोबस्त हो जाता है। भोपाल के अर्जुन नगर में कई सालों से वंशकार परिवार रावण के पुतले बनाते आ रहे हैं। राजेंद्र वंशकार बताते हैं कि इस बार कोरोना के कारण काम-धंधे चौपट हो गए। न गणेश प्रतिमा बना पाए न देवी प्रतिमा। वंशकार कहते हैं पहले मोहल्ले के बच्चे और लोग मिलकर रावण बनाते थे और उत्सव मनाते थे, लेकिन समय की कमी के कारण अब लोग रेडिमेट रावण लेने लगे हैं। हमारे पास इस साल भी पांच सौ रुपए से लेकर 25 हजार रुपए तक के पुतले हैं। इनकी ऊंचाई भी 5 फीट से लेकर 25 फीट तक होती है।

 

 

dussehra 2020 story of ravan makers
IMAGE CREDIT: Manesh Nair, Bhopal

 

यहां पर काम कर रहे राजू बंसल कहते हैं कि कोरोना संकट में अब रावण के पुतले से ही उम्मीद है। सालभर का राशन हमें रावण ही देता है। हर दशहरे पर हमारे करीब 50 से 60 पुतले बिक जाते थे। चक्की चौराहे के ओमप्रकाश साहू के शिष्य इस कलाकार का मानना है कि महंगाई के कारण रावण का कद जरूर छोटा हुआ है, लेकिन लोगों में जश्न मनाने का जोश बरकरार है।

रावण के पुतले बनाने वाले ओमप्रकाश साहू के शिष्य संजय बघेल बताते हैं कि आजकल लोग दूसरे शहरों से भोपाल में आते हैं, इसलिए मोहल्ले में ज्यादा जान-पहचान नहीं होती है। ऐसे में वे रेडिमेड पुतले खरीदकर बच्चों के साथ जश्न मनाते हैं। संजय बताते हैं कि हमारे हाथ के बने छोटे-बड़े 50 पुतले बिक जाते हैं।

 

patrika

बांसखेड़ी पर भी आधा दर्जन परिवार रावण के पुतले से अपना जीवन यापन करता है। हालांकि यह लोग कलाकार नहीं हैं, लेकिन मजदूरी के साथ-साथ अतिरिक्त कमाई के लिए पुतले बनाते हैं। इस काम में परिवार के बच्चे और महिलाएं भी हाथ बंटाते हैं। यह लोग भी कहते हैं कि हमारे लिए तो रावण भी भगवान का रूप है, क्योंकि सालभर का राशन का बंदोबस्त कर देता है। हम तो रावण के पुतले को बेचकर उससे क्षमा भी मांगते हैं।

 

यहीं पर पुतले बनाने वाले ब्रजेश धुर्वे कहते हैं कि पिछले साल के मुकाबले महंगाई बढ़ी है और अब पुतले की कीमत पांच सौ रुपए से लेकर 6 हजार रुपए तक हो गई है। कोरोनाकाल में मजदूरी नहीं मिली, अब रावण के पुतले से राशन का इंतजाम हो सकता है। भोपाल शहर के चक्की चौराहे के अलावा अन्ना नगर, छोला दशहरा मैदान के पास, बांसखेड़ी, सेकंड नंबर बस स्टॉप समेत एक दर्जन स्थानों पर रावण के पुतले बनाए जा रहे हैं।

patrika
0:00
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो