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16-16 घंटे तक कर रहीं फील्ड में ड्यूटी, मकसद – हर हाल में कोरोना को हराना है

locationभोपालPublished: Apr 04, 2020 10:51:03 pm

Submitted by:

hitesh sharma

हौसला: महिला अधिकारियों के साहस की कहानी

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भोपाल। कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन में राजधानी में पदस्थ महिला पुलिसकर्मी भी अपनी जान जोखिम में डालकर फर्ज निभा रही हैं। उन्हें खुद से ज्यादा आमजन की चिंता है। दिन हो या रात, बस लोगों को सचेत करने में जुटी हैं। अपने करियर में पहली बार लॉकडाउन के बीच ड््यूटी कर रहीं ये महिला पुलिस अधिकारी संदेश दे रही हैं कि अपराजिता हैं हम, कोरोना को हर हाल में पराजित कर ही मानेंगी। इतना ही नहीं मैदानी ड्यूटी के साथ ही अलग-अलग युनिटों में पदस्थ होकर महिला पुलिसकर्मी अपने साथियों की सुरक्षा के लिए मास्क भी बना रही हैं। जिससे विभाग पर आर्थिक बोझ ना आए।

16-16 घंटे तक कर रहीं फील्ड में ड्यूटी, मकसद - हर हाल में कोरोना को हराना है

लोगों को लगता है कि हम चपेट में नहीं आएंगे
मैं जहां पदस्थ हूं , वहां लोगों को समझाना ही मुश्किल है कि कोरोना वायरस है क्या। उनकी मानसिकता है कि हम लोग गांव में रहते हैं तो हम पर इसका असर होगा ही नहीं। यहां लोगों को लॉकडाउन की वैल्यू समझाई। गांव में अभी फसल कटाई का समय चल रहा है तो लोग यहां अपनी फसल और आने वाले समय को लेकर परेशान है। उन लोगों को घर में रोककर रखना अपने आप में ही एक चैलेंज है। थाना क्षेत्र शहर से दूर होने के कारण यहां नगर पंचायत लगती है। कोई भी काम करवाना होता है तो पंचायत के माध्यम से ही हो पाता है। अभी गांवों में फूड सप्लाई का काम किया है। मैं सुबह-6 बजे से रात-12 बजे तक काम करती हूं। पहला लॉकडाउन है और चैंलेजिंग है, लेकिन मुझे खुशी है कि देश के लिए कुछ कर पा रही हूं।
अंतिमा समाधिया, टीआई ईंटखेड़ी (प्रशिक्षु डीएसपी)

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सप्ताहभर से फैमिली से रहना पड़ रहा दूर
मेरी ड्यूटी कोरोना वायरस की जांच व अन्य जानकारियों के लिए बनाए गए कंट्रोल रूम में है। यहां हर तरह के लोग आते हैं। ऐसे में खुद को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती है। पिछले छह दिन से मैं खुद को घर पर भी अलग कमरे में रखती हूं। जिससे परिवार के सदस्यों को कोई परेशानी ना उठानी पड़े। वायरस के खिलाफ समाज में जागरुकता लाने का प्रयास करती हूं। खुद सेनेटाइज्ड करने के अलावा मास्क का प्रयोग करने की सलाह देती हूं। हम सभी इस महामारी से महिलाओं को जागरूक करने के लिए कार्य कर रही हैं।
अदिति भावसार, डीएसपी क्राइम ब्रांच

16-16 घंटे तक कर रहीं फील्ड में ड्यूटी, मकसद - हर हाल में कोरोना को हराना है

सोचा भी नहीं था, इस तरह की चुनौतियां आएंगी
लॉकडाउन मेरे करियर का ही नहीं जिंदगी का भी पहला अनुभव है। सोचा भी नहीं था कि इस तरह की चुनौतियों भरा टास्क पहले ही अनुभव में मिलेगा। चुनौती बड़ी है, लेकिन जरूर जीतेंगे। इलाके में लोगों को हर तरह से समझाकर घर जाने को कहा जा रहा है। बावजूद लोग मानने को तैयार नहीं हो रहे। दो दिन से 20-20 घंटे मास्क लगाकर लोगों के बीच जाकर समझाइश दे रहे हैं। शहर की सीमा से अनधिकृत लोगों पर हर वक्त नजर रखी जा रही है। समाज हित में हम सजग हैं, लेकिन आमजन की भी गंभीर रहने की जिम्मेदारी है।
शिवाली चतुर्वेदी, टीआई सूखी सेवनिया (प्रशिक्षु डीएसपी)

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महिलाओं को करती हूं प्रेरित
कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों को जागरूक करना मेरी पहली प्राथमिकता है। 14-14 घंटे फील्ड में रहकर बाहर घूम रहे लोगों को घर जाने के लिए समझाती हूं। अनाउंसमेंट करती हूं। खुद की सुरक्षा के साथ स्टाफ को सुरक्षित रखने का पूरी तरह से प्रयास करती हूं। मैं अपने इलाके की महिलाओं को भी समझाती हूं कि वे परिवार के पुरुष सदस्यों को प्रेरित कर बाहर जाने से रोक सकती हैं। सभी को एकजुट होकर कोरोना वायरस को हराना है। हम भी अपनी जिम्मेदारी निभा रहे, आप भी निभाएं। फील्ड की व्यस्तताओं के कारण अभी परिवार से भी बात नहीं हो पा रही है।
रिचा जैन, टीआई चूनाभट्टी (प्रशिक्षु डीएसपी)

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