ई-टेंडर घोटाले में बंगलुरू की सॉफ्टवेयर कंपनी एंटेरस सिस्टम्स प्रालि के वाइस प्रेसिडेंट मनोहर एमएन व तीन अन्य पदाधिकारियों से ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने दिनभर पूछताछ की। सबसे पहले सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी ली गई है। इसमें एक्सेल शीट और वर्ड फाइल के जरिए ही टेंडर अपलोड करने का विकल्प क्यों रखा गया? ईओडब्ल्यू को अब तक की जांच में पता चला है कि सॉफ्टवेयर में आसानी से टेंपरिंग की जा सकती है। इसके सॉफ्टवेयर में पीडीएफ फार्मेट में टेंडर अपलोड करने का विकल्प नहीं होने से एक्सल शीट व वर्ड फाइल में टेंडर अपलोड किया जाता था, जिसमें छेड़छाड़ की गई है। वहीं, एंटेरस कंपनी की तरफ से मप्र का काम देखने वाले सभी छह पदाधिकारियों से बारी-बारी से पूछताछ की जाना है। बुधवार को तीनों से पूछताछ की गई। बताया जा रहा है कि तीनों से अभी और पूछताछ की जाना है। जब्त डाटा और ऑस्मो संचालकों के साथ लेन-देन और साठगांठ को लेकर भी पूछताछ की गई है।
ईओडब्ल्यू के डीजी केएन तिवारी ने बताया कि जांच का दायरा बढ़ाया गया है। इससे कुछ ऐसे मामले भी सामने आ सकते हैं, जिनमें टेंपरिंग की गई और काम पूरा भी कर लिया गया हो। भुगतान भी हो चुका हो। बताया जा रहा है कि ऐसे में यदि बहुत बड़ी रकम वाले टेंडर में धांधली सामने आती है तो उसकी भी जांच की जा सकती है।
ईओडब्ल्यू ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी के मामले में पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी मांगी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। ब्यूरो का मानना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन को कहा गया है कि हर एक नियुक्ति में किस तरह की अनियमितता बरती गई हैं और योग्यता संबंधी क्या-क्या पैमाने नहीं अपनाए गए इसकी जानकारी भी ईओडब्ल्यू को उपलब्ध कराई जाए। इस पर विश्वविद्यालय प्रबंधन हर नियुक्ति और जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आए फैकल्टी से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल कर रहा हैं, ताकि ईओडब्ल्यू को जानकारी दी जा सके। इस मामले में ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय की तरफ से जानकारी आने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।