scriptनिजी कंपनियों को क्यों और किस अफसर ने दिया काम, इसकी भी कराई जाएगी जांच | e tender scam | Patrika News

निजी कंपनियों को क्यों और किस अफसर ने दिया काम, इसकी भी कराई जाएगी जांच

locationभोपालPublished: Apr 25, 2019 01:28:32 am

Submitted by:

Sumeet Pandey

ई-टेंडर घोटाला : 80 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है आंकड़ा

e tender

निजी कंपनियों को क्यों और किस अफसर ने दिया काम, इसकी भी कराई जाएगी जांच

भोपाल . ई-टेंडर घोटाला तीन हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 80 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। मंगलवार को इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी मनीष रस्तोगी से पूछताछ के बाद ईओडब्ल्यू ने जांच का दायरा बढ़ाकर 2012 तक के सभी विभागों के टेंडरों को जांच में शामिल कर लिया है। बताया जा रहा है कि 5 करोड़ रुपए से अधिक के सभी टेंडरों की जांच की जाएगी। जांच में बड़े-बड़े सभी विभागों द्वारा, जिन्होंने ई-टेंडर के जरिए प्रक्रिया अपनाई हैं, उन सभी विभागों के टेंडर और उनसे जुड़े अधिकारियों से पूछताछ की जा सकती है। ईओडब्ल्यू ने ऑस्मो कंपनी के संचालकों और मनीष रस्तोगी के बयान के बाद जांच को नई दिशा में मोड़ दिया है। ई-टेंडर का काम शुरुआत में एनआइसी द्वारा किया जा रहा था, लेकिन बाद में अफसरों ने इसे निजी कंपनियों टीसीएस और एंटेरस सिस्टम्स प्रालि को दे दिया। इसकी भी जांच शुरू कर दी गई है कि किस अफसर के कार्यकाल में किन परिस्थितियों में निजी कंपनियों को ई-टेंडर का काम दिया है। जल्द ही जिस अफसर के कार्यकाल में निजी कंपनियों को ई-टेंडर का काम दिया गया है, उनसे भी पूछताछ की जा सकती है। अब तक ईओडब्ल्यू के अफसर दो महत्वपूर्ण निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। पहला तो जांच का दायरा बढ़ाने से टेंडर घोटाले की राशि 80 हजार करोड़ तक पहुंच गई है और दूसरा वह अफसर जिसने निजी कंपनियों को काम दिया है।

इधर, दिनभर हुई पूछताछ
ई-टेंडर घोटाले में बंगलुरू की सॉफ्टवेयर कंपनी एंटेरस सिस्टम्स प्रालि के वाइस प्रेसिडेंट मनोहर एमएन व तीन अन्य पदाधिकारियों से ईओडब्ल्यू के अधिकारियों ने दिनभर पूछताछ की। सबसे पहले सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी ली गई है। इसमें एक्सेल शीट और वर्ड फाइल के जरिए ही टेंडर अपलोड करने का विकल्प क्यों रखा गया? ईओडब्ल्यू को अब तक की जांच में पता चला है कि सॉफ्टवेयर में आसानी से टेंपरिंग की जा सकती है। इसके सॉफ्टवेयर में पीडीएफ फार्मेट में टेंडर अपलोड करने का विकल्प नहीं होने से एक्सल शीट व वर्ड फाइल में टेंडर अपलोड किया जाता था, जिसमें छेड़छाड़ की गई है। वहीं, एंटेरस कंपनी की तरफ से मप्र का काम देखने वाले सभी छह पदाधिकारियों से बारी-बारी से पूछताछ की जाना है। बुधवार को तीनों से पूछताछ की गई। बताया जा रहा है कि तीनों से अभी और पूछताछ की जाना है। जब्त डाटा और ऑस्मो संचालकों के साथ लेन-देन और साठगांठ को लेकर भी पूछताछ की गई है।

जो काम हो गया, उसकी भी हो सकती है जांच
ईओडब्ल्यू के डीजी केएन तिवारी ने बताया कि जांच का दायरा बढ़ाया गया है। इससे कुछ ऐसे मामले भी सामने आ सकते हैं, जिनमें टेंपरिंग की गई और काम पूरा भी कर लिया गया हो। भुगतान भी हो चुका हो। बताया जा रहा है कि ऐसे में यदि बहुत बड़ी रकम वाले टेंडर में धांधली सामने आती है तो उसकी भी जांच की जा सकती है।

पत्रकारिता विश्वविद्यलय से मांगी नियुक्तियों की जानकारी
ईओडब्ल्यू ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की नियुक्तियों में हुई गड़बड़ी के मामले में पत्र लिखकर विस्तृत जानकारी मांगी है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर तो दर्ज कर ली, लेकिन अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है। ब्यूरो का मानना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन को कहा गया है कि हर एक नियुक्ति में किस तरह की अनियमितता बरती गई हैं और योग्यता संबंधी क्या-क्या पैमाने नहीं अपनाए गए इसकी जानकारी भी ईओडब्ल्यू को उपलब्ध कराई जाए। इस पर विश्वविद्यालय प्रबंधन हर नियुक्ति और जांच कमेटी की रिपोर्ट में सामने आए फैकल्टी से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल कर रहा हैं, ताकि ईओडब्ल्यू को जानकारी दी जा सके। इस मामले में ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी ने बताया कि विश्वविद्यालय की तरफ से जानकारी आने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो