ईओडब्ल्यू ने ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल पर अपलोड किए गए टेंडरों की छानबीन की तो 2012-13 के बाद से 2018 तक जारी किए गए विभिन्न विभागों के टेंडरों में टेंपरिंग सामने आई है। ईओडब्ल्यू ने 10 अप्रैल, 2019 के बाद करीब 3.50 हजार टेंडरों को जांच में लिया, जिनमें निर्माण एजेंसियों सहित शासन के कई विभागों के टेंडरों में रेड फ्लेग (टेंपरिंग का निशान) मिला है।
जल संसाधन, नर्मदा घाटी विकास विभाग, जल निगम की समूह जल परियोजनााओं और राजधानी परियोजना प्रशासन के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट वाले टेंडर इसमें शामिल है। जिन टेंडरों का भुगतान हो चुका हैं, टेंपरिंग सामने आने के बाद ईओडब्ल्यू ने ऐसे सभी टेंडरों को जांच में ले लिया है।
ईओडब्ल्यू ने 5 करोड़ रुपए से अधिक के सभी ऐसे टेंडरों की जांच की तो पता चला कि यह मामला 9 टेंडरों तक ही सीमित नहीं है। इसमें 5 करोड़ से 5 हजार करोड़ रुपए तक के टेंडर शामिल हैं, जिनका काम पूरा भी हो चुका हैं।
जांच एजेंसी ने इस बिंदु पर भी फोकस किया है कि ई-टेंडर का काम एनआईसी से लेकर निजी कंपनी एंटेरस सिस्टम्स प्रालि को क्यों दिया गया? एनआईसी से काम लेकर निजी कंपनी को देने की प्रक्रिया में शामिल इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कारपोरेशन के अधिकारियों से इस बारे में भी पूछताछ की जाएगी।
मेंटेना-जीवीपीआर सबसे ज्यादा टेंडर, एनेक्सी भवन के टेंडर की भी जांच
अब तक की जांच और ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल के डाटा का अध्ययन करने पर ईओडब्ल्यू को पता चला है कि सबसे अधिक हैदराबाद की मेसर्स मैक्स मेंटेना और मेसर्स जीवीपीआर कंपनियों को ही टेंडर दिए गए हैं।
दोनों ही कंपनियों के खिलाफ ईओडब्ल्यू ने केस दर्ज कर रखा है और मेंटेना कंपनी के राजू मेंटेना और आदित्य कुमार से पूछताछ हो सकती है। वहीं, ईओडब्ल्यू को आशंका है कि भोपाल के मेसर्स रामकुमार नारवानी के जरिए राजधानी परियोजना प्रशासन विभाग द्वारा बनाया गया ऐनेक्सी भवन (नया वल्लभ भवन) के टेंडर में टेंपरिंग की गई है। जांच में शामिल सभी टेंडरों में टेंपरिंग आस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के जरिए की गई है।
इन विभागों के टेंडर जांच में लिए
जल संसाधन विभाग, लोक निर्माण व पीआईयू, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण विभाग, पीएचई-जल निगम, सडक़ विकास निगम, नगरीय प्रशासन एवं विकास, पर्यटन विभाग, पंचायत, विधि एवं विधायी कार्य, स्वास्थ्य, राजधानी परियोजना प्रशासन, मेट्रो ट्रेन के टेंडर, ईको टूरिज्म बोर्ड, वन विभाग, नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, आदिम जाति, स्कूल शिक्षा, उच्च शिक्षा, कौशल विकास सहित अन्य सभी विभाग जिन्होंने 2012-13 के बाद 5 करोड़ रुपए से अधिक के टेंडर निकाले हैं। बड़ी राशि वाले सडक़, भवन, बांध, बड़ी खरीदी आदि से संबंधित टेंडर हैं।
जांच के दौरान करीब एक हजार टेंडर सामने आए हैं, जिनमें टेंपरिंग हुई है। लाखों टेंडरों की जांच की गई, लेकिन टेंपरिंग वाले वे टेंडर ज्यादा पकड़ में आए हैं, जिनका काम हो चुका। इनके ठेकेदार को पूरा भुगतान भी कर दिया गया है।
केएन तिवारी, डीजी ईओडब्ल्यू