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ई-टेंडर घोटाला: चालान से पहले, हैदराबाद, मुंबई व भोपाल की आरोपी कंपनियों से होगी पूछताछ

locationभोपालPublished: Jun 14, 2019 12:19:36 am

चार अन्य आरोपी कंपनियों को भी नोटिस देकर उनसे भी पूछताछ की जाएगी
भोपाल।

MP E-Tendering Scam

MP E-Tendering Scam

भोपाल। ई-टेंडर घोटाले में आरोपी हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनियां, मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मेसर्स मैक्स मेंटाना लि, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनियां द ह्यूम पाइप लि, मेसर्स जेएमसी लि और भोपाल की मेसर्स रामकुमार नरवानी लि के संचालकों से चालान पेश करने से पहले पूछताछ की तैयारी की जा रही है।

ईओडब्ल्यू ने गुजरात की दोनों कंपनियों को भी अल्टीमेटम देकर पूछताछ के लिए बुलाया है, वहीं चार अन्य आरोपी कंपनियों को भी नोटिस देकर उनसे भी पूछताछ की जाएगी, ताकि चालान में आरोपी कंपनियों के बारे में कोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखा जा सके।

आगामी 10 जुलाई तक ईओडब्ल्यू, अब तक गिरफ्तार सभी आरोपियों का चालान पेश करेगा। इसके पहले एफआईआर में जिन-जिन कंपनियों को नामजद आरोपी बनाया गया है, उनके पदाधिकारियों व संचालकों से पूछताछ की तैयारी की जा रही है। इन कंपनियों को एक बार नोटिस दिया जा चुका हैं, लेकिन बयान व पूछताछ बाकी है। अब इन कंपनियों से गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों की किस तरह की मिलीभगत थी और इन्हें अन्य टेंडरों में कहां-कहां टेंपरिंग की है, इसके बारे में पूछताछ की जाना बाकी है।

ईओडब्ल्यू के सूत्रों का कहना है कि हैदराबाद की मेसर्स मैक्स मेंटाना लि कंपनी में जल संसाधन विभाग में पदस्थ रहे एक वरिष्ठ आईएएस अफसर की बेटी पदाधिकारी होने के कारण ईओडब्ल्यू ने इस कंपनी से पूछताछ में ढील बरती थी, लेकिन अब चालान पेश करने से पहले सभी से पूछताछ की जाएगी।

बताया जा रहा है कि जीवीपीआर कंपनी को इंदौर के मुकेश शर्मा नामक व्यक्ति ने बड़े-बड़े टेंडर दिलवाए हैं, इस मामले में ईओडब्ल्यू ने भी मुकेश शर्मा को नोटिस दिया है। मुकेश शर्मा कुछ आईएएस अफसरों और भाजपा नेताओं का करीबी बताया जा रहा है।

भाजपा नेता की शह पर ही शर्मा ने, हैदराबाद की जीवीपीआर लि और जेएमसी लि को टेंडर दिलाए हैं। जिस तरह मनीष खरे ने गुजरात की कंपनियों को टेंडर दिलाने में अहम भूमिका निभाई, उसी तरह हैदराबाद की कंपनियों को ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन कंपनी के साथ मिलकर ई-प्रोक पोर्टल में टेंपरिंग कर टेंडर दिलवाए हैं। इन कंपनियों का रिकॉर्ड खंगाला जा रहा है कि इन कंपनियों को अन्य विभागों के और कौन-कौन से टेंडर मिले हैं। कहीं, यह टेंडर भी टेंपरिंग और बिड वेल्यू बदलकर तो हासिल नहीं किए गए हैं।

 

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