मध्य प्रदेश में आकड़ा 66 हजार
भारत के साथ ही साथ मध्य प्रदेश में मुंह के कैंसर की बीमारी बड़ी तेजी से फैल रही है। सर्वोच्च न्यायालय के तमाम निर्देशों के बाद भी तंबाकू उत्पादों पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं लग पाया है। देश में तंबाकू उत्पादों का सेवन करने से हर साल 10 लाख लोग जान गंवा देते हैं। वहीं अगर बात मध्य प्रदेश की करें तो यह आंकड़ा 66 हजार है।
कैंसर क्या है
हमारा शरीर कई प्रकार की कोशिकाओं से बना होता है। जैसे-जैसे शरीर को इनकी जरूरत होती है वैसे वैसे ये कोशिकाएं नियंत्रित रूप से विभाजित और बढ़ती रहती हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि शरीर को इन कोशिकाओं की कोई जरूरत नहीं होती है, फिर भी इनका बढ़ना जारी रहता है। कोशिकाओं का यह असामान्य विकास कैंसर कहलाता है (जो आमतौर पर एक असामान्य कोशिका से उत्पन्न होता है) जिसमें कोशिकाएं सामान्य नियंत्रण खो देती हैं। इस प्रकार कोशिकाओं का एक समूह लगातार अनियंत्रित वृद्धि करता है, जो आसपास के अजेसन्ट ऊतकों (Tissue) पर आक्रमण करता है, जो शरीर के दूर के हिस्सों में पहुंचता है और लसिका या रक्त के माध्यम से शरीर के अन्य भागों में फ़ैल जाता है। कैंसर कोशिका शरीर के किसी भी ऊतक में विकसित हो सकती है।
जैसे-जैसे कैंसर कोशिकाएं बढ़ती हैं और कई गुणा होती हैं तो वे कैंसर कोशिकाओं के एक समूह का रूप ले लेती हैं जो ट्यूमर कहलाता है। ये ट्यूमर आस पास के ऊतकों पर हमला करता है और उन्हें नष्ट करता है। ट्यूमर कैंसरस या नॉन कैंसरस हो सकते हैं। कैंसरस कोशिका एक जगह से शुरू होकर पूरे शरीर (मेटास्टाज़ेज़) में फैल सकती है।
कैंसर की शुरूआत
कोशिका के आनुवंशिक पदार्थ में परिवर्तन होने की शुरूआत कैंसर होती है। कोशिका के आनुवंशिक पदार्थ में होने वाले परिवर्तन अपने आप हो सकते हैं या कुछ एजेंट या तत्वों के द्वारा उत्पन्न हो सकते हैं। ये एजेंट्स हैं रसायन, तंबाकू, वायरस, रेडिएशन और सूर्य के प्रकाश। लेकिन ज़रूरी नहीं है कि सभी कोशिकाएं इन एजेंट से समान रूप से प्रभावित होती हैं। कोशिकाओं में एक आनुवंशिक दोष इन एजेंट्स को शरीर के प्रति अतिसंवेदनशील बना देता है। यहां तक कि लंबे समय से हो रही शारीरिक जलन भी इन एजेंट्स को एक कोशिका के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकती है।
कैंसर का बढ़ना
कैंसर के विकास में बढ़ावा देने के लिए कुछ एजेंट या तत्व (प्रमोटर) कारण बनते हैं। ये एजेंट पर्यावरण में मौजूद कुछ पदार्थ या दवाइयां भी हो सकती है जैसे सेक्स हार्मोन टेस्टोस्टेरोन जिसका उपयोग वृद्ध पुरुषों में यौन इच्छा और ऊर्जा में सुधार करने के लिए लिया जाता है। कार्सिनोजेन्स के विपरीत, ये प्रमोटर स्वयं कैंसर का कारण नहीं बनते हैं। इसकी बजाये ये प्रमोटर कैंसर से प्रभावित हो रही कोशिकाओं के विकास को बढ़ावा देते हैं। इन प्रमोटर का उन कोशिकाओं पर कोई असर नहीं होता है जिनमें कैंसर की शुरुआत ही नहीं हुई हैं।
कुछ कैंसर को उत्पन्न करने वाले तत्व, प्रमोटर्स की आवश्यकता के बिना कैंसर का कारण बनते हैं। उदाहरण के लिए, आइअनाइज़िंग रेडिएशन (ionizing radiation – जो ज्यादातर एक्स-रे में प्रयोग होती है) विभिन्न कैंसर, विशेषकर सारकोमा, ल्यूकेमिया, थायरॉयड कैंसर और स्तन कैंसर का कारण बन सकती है।
तंबाकू पर लगना चाहिए प्रतिबंध
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के स्टेट पैट्रन एंव कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. टी.पी. शाहू बताते हैं कि “तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का सख्ती से पालन करवाए। जब यह स्पष्ट है कि मुंह के कैंसर के 90 फीसदी मामलों में तम्बाकू उत्पाद जिम्मेदार हैं, तो तंबाकू उत्पादों पर सख्ती से प्रतिबंध लगना चाहिए।” उन्होंने आगे कहा कि तंबाकू उत्पादों के सेवन से देश में हर साल 10 लाख मौतें होती हैं, वहीं मध्य प्रदेश में 66 हजार लोग जान गंवा देते हैं। सरकार के प्रयास इन मौतों को रोक सकते हैं।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अनुसार, 2020 तक जानलेवा बीमारी कैंसर की चपेट में 17.3 लाख लोग होंगे। देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रतिकूल असर पड़ेगा। यह हैरानीजनक तथ्य हाल में ब्रिक्स द्वारा जारी एक सर्वे में सामने आए हैं। ब्रिक्स के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2012 तक तम्बाकू जनित उत्पादों के सेवन से न केवल देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है, बल्कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में भी गिरावट दर्ज की गई है। कैंसर के उपचार पर हुए भारी भरकम खर्च की वजह से 2012 में हमारी आर्थिक विकास दर 0.36 फीसदी प्रभावित हुई है।
गौरतलब है कि 23 सितंबर, 2016 को सर्वोच्च न्यायालय ने ट्विन्स पैक में तम्बाकू जनित पदार्थो (गुटका, जर्दा, पान मसाला, खैनी इत्यादि) की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया था। राज्य सरकारों ने इस आदेश का अभी तक प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन नहीं किया है। इसी का दुष्परिणाम है कि देश में तम्बाकू जनित पदार्थो के सेवन से मुंह व गले के कैंसर रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सर्वे के मुताबिक, तम्बाकू जनित पदार्थो की वजह से ही 90 फीसदी लोग मुंह व गले के कैंसर से ग्रसित हो रहे हैं।
तंबाकू है बड़ा कारण
राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट के विनीत तलवार के अनुसार पुरुषों में कैंसर फैलने के लिए तंबाकू सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. तलवार ने कहा तंबाकू चबाना, धूम्रपान करना या किसी अन्य प्रकार से तंबाकू सेवन कैंसर होने का प्रमुख कारक है. उल्लेखनीय है कि पुरुषों में कैंसर के 60 से 70 परसेंट मामलों में कैंसर की वजह तंबाकू ही होती है. इसके साथ ही तलवार ने कहा कि महिलाओं में कैंसर बढ़ने का प्रमुख कारण हार्मोंस का बढ़ना होता है. अगर WHO की रिपोर्ट पर नजर डाली जाए तो कैंसर से होने वाली 30 परसेंट मौतों को तंबाकू सेवन, एल्कोहल, अनियमित आहार और मोटापे पर कंट्रोल करके रोका जा सकता है.
दस सालों में 8.4 करोड़ लोगों की मौत
WHO की रिपोर्ट के अनुसार 2005 से 2015 के बीच 8.4 करोड़ लोग कैंसर की वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं. अगर कैंसर से मरने वाले पुरुषों की बात की जाए तो फेफड़े और मुंह के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आते हैं. वहीं महिलाओं में ग्रीवा और ब्रेस्ट कैंसर प्रमुख होता है. गौरतलब है कि भारत में हर साल 11 लाख नए मामले सामने आते हैं तो पूरे विश्व का 7.8 परसेंट है.
कैंसर के लक्षण
जब कैंसर की कोशिकाएं बहुत छोटे रूप में होती हैं तो कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं। लेकिन जैसे कैंसर बढ़ता है, इसकी उपस्थिति आसपास के ऊतकों को प्रभावित कर सकती है। इसके अलावा, कुछ कैंसर की वजह से शरीर से कुछ पदार्थों का स्राव होने लगता है या कुछ कैंसर प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं को ट्रिगर करते हैं जिससे शरीर के वो हिस्से जो कैंसर की उत्पत्ति वाले हिस्सों से दूर हैं, उनमें भी कैंसर के लक्षण पैदा हो सकते हैं।
दर्द – कुछ कैंसर पहले दर्द रहित होते हैं, लेकिन कुछ कैंसर का प्रारंभिक लक्षण दर्द हो सकता है जैसे कि मस्तिष्क के ट्यूमर जिनमें सिरदर्द होता है और सिर, गर्दन और एनोफेजियल कैंसर जिनमें निगलने के समय दर्द होता है। जैसे जैसे कैंसर बढ़ता है इसका पहला लक्षण अक्सर असहज महसूस करना होता है, जो कैंसर के फैलने के साथ तेजी से गंभीर दर्द में बदल सकता है। हालांकि, सभी कैंसर गंभीर दर्द का कारण नहीं होते हैं। इसी तरह, दर्द की कमी इस बात की गारंटी नहीं देती कि कैंसर बढ़ या फैल नहीं रहा है। (और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलु उपाय)
ब्लीडिंग – कैंसर में थोड़ा सा खून आ सकता है क्योंकि इसकी रक्त वाहिकाएं नाजुक होती हैं। बाद में, जैसे कैंसर बढ़ता है और आसपास के ऊतकों पर हमला करता है तो यह एक नजदीकी रक्त वाहिका में बढ़ सकता है, जिससे रक्तस्राव हो सकता है। यह ब्लीडिंग मामूली सी हो सकती है और इसका निदान किया जा सकता है या नहीं यह परीक्षण के साथ ही पता लग सकता है। प्रारंभिक चरण के बृहदान्त्र कैंसर (colon cancer) में ऐसा अक्सर होता है। एडवांस (advanced) कैंसर में ब्लीडिंग अधिक हो सकती है, यहां तक कि यह ब्लीडिंग जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है। (और पढ़ें – अडुळसा काढा है ब्लीडिंग में उपयोगी)
जिस जगह कैंसर है वही जगह ब्लीडिंग को निर्धारित करती है। पाचन तंत्र के साथ जुड़े कैंसर में मल में ब्लीडिंग हो सकती है। मूत्र पथ के साथ जुड़े कैंसर में मूत्र में ब्लीडिंग हो सकती है। अन्य कैंसर से शरीर के आंतरिक क्षेत्रों में खून आ सकता है। फेफड़ों में ब्लीडिंग से व्यक्ति को खांसी में रक्त आने का कारण बन सकता है।
ब्लड क्लॉट्स – कुछ कैंसर पदार्थों का उत्पादन करते हैं जो शरीर में रक्त के जमाने का कारण बनते हैं मुख्यतः पैरों की नसों में। पैर की नसों में ब्लड क्लॉट्स कभी-कभी टूट जाती है जो पूरे शरीर में फैल जाती है जो आपके लिए घातक हो सकता है। अग्नाशय, फेफड़े और अन्य सॉलिड ट्यूमर वाले लोगों में और मस्तिष्क ट्यूमर वाले लोगों में अत्यधिक क्लोटिंग आम है।
वजन घटना और थकान – आमतौर पर, कैंसर वाले व्यक्ति को वजन घटने और थकान का अनुभव होता है, जो कि कैंसर के बढ़ने के कारण इस कंडीशन को और भी खराब कर सकता है। कुछ लोगों ने अच्छी भूख के बावजूद वजन घटने की सूचना दी है। जबकि कुछ लोगों में भूख की कमी या खाना निगलने में कठिनाई हो सकती है। वे बहुत पतले हो सकते हैं। एडवांस (advanced) कैंसर वाले लोग अक्सर बहुत थका हुआ रहते हैं। यदि एनीमिया विकसित हो जाता है, तो ऐसे लोगों को थोड़ी सी गतिविधि के साथ थकान या सांस की कमी हो सकती है। (और पढ़ें – थकान दूर करने और ताकत के लिए क्या खाएं)
लिम्फ नोड्स में सूजन – जैसे ही कैंसर शरीर के चारों ओर फैल जाना शुरू हो जाता है, यह सबसे पहले पास की लिम्फ नोड्स में फैल सकता है जिसमें सूजन हो जाती है। सूजन लिम्फ नोड्स आम तौर पर पीड़ा रहित होते हैं और ये सख्त या रबड़ जैसे फील हो सकते हैं। यदि कैंसर अड्वान्स स्टेज पे हैं तो ये लिम्फ नोड्स ऊपर की त्वचा में फंस सकते हैं, नीचे ऊतकों की परतों में या आपस में भी फँस सकते हैं। (और पढ़ें – स्तनपान के दौरान हो रहे दर्द और सूजन का एक अनोखा उपाय)
न्यूरोलॉजिक और मस्कुलर लक्षण – कैंसर तंत्रिका या रीढ़ की हड्डी को संकुचित कर सकता है। यह न्यूरोलॉजिक और मस्कुलर (muscular) लक्षणों में से कोई भी हो सकता है जैसे दर्द, कमजोरी या अनुभूति में परिवर्तन (जैसे झुनझुनी उत्तेजना) आदि। जब मस्तिष्क में कैंसर बढ़ता है, तो लक्षणों का पता लगाना मुश्किल हो सकता है लेकिन इसमें भ्रम, चक्कर आना, सिरदर्द, मतली, दृष्टि में परिवर्तन और दौरे हो सकते हैं। न्यूरोलॉजिक के लक्षण भी एक अपरिवर्तनीय सिंड्रोम (paraneoplastic syndrome) का हिस्सा हो सकते हैं।
श्वसन लक्षण – कैंसर फेफड़ों में वायुमार्ग जैसी संरचनाओं को संकुचित या अवरुद्ध कर सकता है जिससे श्वास की कमी, खांसी या निमोनिया आदि हो सकते हैं। श्वास की तकलीफ भी हो सकती है जब कैंसर फेफड़ों और छाती के बीच द्रव के निर्माण (pleural effusion), फेफड़ों में रक्तस्राव या एनीमिया का कारण बनता है।
कैंसर की रोकथाम कैसे करें
कैंसर को रोकने के लिए कोई निश्चित तरीका नहीं है। लेकिन डॉक्टरों ने आपके कैंसर के जोखिम को कम करने के कई तरीकों की पहचान की है। जैसे –
– धूम्रपान बंद करना – अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो उसे तुरंत छोड़ दें। और अगर नहीं करते हैं तो करना शुरू ना करें। धूम्रपान से सिर्फ फेफड़ों का कैंसर ही नहीं, बल्कि अन्य प्रकार के कैंसर हो सकतें हैं।
– ज़्यादा धुप में रहने से बचें – सूरज से हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) किरणें त्वचा के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकती हैं। छाया में रहकर, सुरक्षात्मक कपड़े पहनकर या सनस्क्रीन लगाने से आप सूर्य के जोखिम को सीमित कर सकतें हैं।
– एक स्वस्थ आहार खाएं – फलों और सब्जियों से समृद्ध आहार चुनें। साबुत अनाज और चर्बी निकले हुए प्रोटीन का चयन करें।
सप्ताह के अधिकांश दिन व्यायाम करें – नियमित व्यायाम करने से कैंसर होने की सम्भावना को कम किया जा सकता है। व्यायाम करने की कम से कम 30 मिनट की अवधि रखें।
– स्वस्थ वजन – स्वस्थ वजन बनाए रखें अधिक वजन या मोटापे होने से कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। एक स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम के संयोजन के माध्यम से स्वस्थ वजन को प्राप्त करने और बनाए रखने के लिए कार्य करें।
– शराब का सेवन कम करें – शराब का अधिक सेवन भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।