हालांकि भूकंप कब आएगा इस बात की गणना करना अभी भी पूरी तरह संभव नहीं हो पाया है, लेकिन माना जा रहा है कि भारत के मध्य भाग में एक बड़ा भूकंप कभी भी आ सकता है। दरअसल प्रदेश में धड़ल्ले से हो रहे अवैध उत्खनन, बेतरतीब और अनियंत्रित निर्माण बड़ी तबाही की वजह बन सकते हैं। 28 जिलों का बड़ा भू-भाग भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जोन चार में पहुंच चुका है। ऐसे में यदि कभी प्रदेश में केंद्रित भूकंप आता है तो इस भू-भाग को बड़ा नुकसान झेलना होगा। वैसे ये बात चिंता का कारण इसलिए बन गई है क्योंकि पिछले तीन सालों में भूकंपों की आवृत्ति बढ़ी है।
ये खबर इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि कुछ महीने पहले ही देहरादून में आयोजित डिसास्टर रेसीलेंट इंफ्रास्ट्रक्चर इन दि हिमालयाज्, ऑपर्च्यूनिटी एंड चैलेंजेस वर्कशॉप में पाया गया है कि भारत के उत्तर पर्वतीय क्षेत्र में एक बड़ा भूभाग हर साल 18 मिमी की दर से सिकुड़ रहा है। इस सिकुड़न से धरती के भीतर ऊर्जा का भंडार बन रहा है, जो कभी भी सात से आठ रिक्टर स्केल के बड़े भूकंप का कारण बन सकता है। इतना ही नहीं इस बड़ी भूगर्भीय हलचल का प्रभाव बड़े क्षेत्र में पड़ सकता है।
सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं ये जिले
विभाग के अनुसार सर्वाधिक प्रभावितों में जबलपुर, खरगौन, इंदौर, खंडवा, धार, रायसेन, देवास, सीहोर, बैतूल, सीधी, शहडोल, नरसिंहपुर, दमोह, होशंगाबाद, बड़वानी, झाबुआ, उमरिया, छिंदवाड़ा, हरदा, बुरहानपुर, अनूपपुर, सागर, सिवनी, मंडला, डिंडोरी, कटनी, सिंगरौली और अलीराजपुर शामिल हैं।यहां से भी पड़ रहा है असरमौसम विज्ञानिक वेद प्रकाश सिंह के अनुसार चीन और भारत दोनों बॉर्डर पर खूब निर्माण कर रहे हैं। चाइना ने ब्रह्मपुत्र नदी पर विशाल बांध बना दिया है। पाकिस्तान के साथ व्यापारिक गलियारा बना रहा है। दोनों ही निर्माण से बैलेंस बिगड़ रहा है। ये भी भविष्य में उथल-पुथल का कारण बनेंगे।
सर्वाधिक खतरनाक है जोन पांच
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार भूकंप का खतरा देश में हर जगह अलग-अलग है। खतरे के हिसाब से देश को पांच हिस्सों में बांटा गया है, जैसे जोन-1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। सबसे कम खतरे वाला जोन-1 और जोन-2 है तथा सबसे ज्यादा खतरे वाला जोन-5 है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार यहां हिमालयन क्षेत्र में भूगर्भीय गतिविधियों से भूकंप आता है।
इस लिहाज से जिस जगह इन गतिविधियों को असर कम है वह एक, दो और 3 जोन में है जहां अधिक या बहुत अधिक है। उन्हें 04 और 05 जोन में रखा गया है। जोन 04 और 05 के इलाकों में भूकंपीय गतिविधियों के केंद्र भी हो सकते हैं।
प्रदेश झेल चुका है कई भूकम्प
22 मई 1997 को जबलपुर में जोरदार भूकम्प आया था। इस भूकम्प ने शहर की सूरत ही बदल दी थी। उस भारी भूकंप के बाद शहरवासी इतना डर गए थे कि हल्की आवाज पर भी सहम जाते थे। बादलों की गडग़ड़ाहट भी भूकंप की आवाज ही प्रतीत होती थी। बच्चे ही नहीं बड़े बुजुर्गों के लिए भी उस दृश्य को भुलाना अब भी आसान नहीं है। हालांकि भूकंप जोन 3 में आने की वजह से यहां जब-तब भूकंप के हल्के झटके महसूस किए जाते हैं।
1997 में आए इस भूकंप के झटके जबलपुर, मंडला, छिंदवाड़ा और सिवनी में महसूस किए गए थे।धरती के हिलने की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान जबलपुर और मंडला में हुआ था। इन जिलों में 8 हजार से ज्यादा घर पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे, जबकि 50 हजार से ज्यादा घरों को नुकसान पहुंचा था। रिक्टर पैमाने पर इसे 6.01 मैग्नीट्यूट तीव्रता मापा गया था। भू-वैज्ञानिकों द्वारा जबलपुर को नर्मदा-सोन फाल्ट में अक्सर होने वाली हलचल वाले क्षेत्र के रूप में मान्यता देकर इसे भूकंप संवेदी क्षेत्र का दर्जा दिया है।
22 अक्टूबर 2014 को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए लेकिन 25 अप्रैल को 2015 को आए भूकंप ने एक बार फिर जबलपुर सहित पूरे प्रदेश को हिला दिया। ग्वालियर, भोपाल सहित इंदौर में भी इन झटकों को महसूस किया गया। घरों की दीवारों में दरारें पड़ गईं और लोग बड़ी घटना की आशंका से फिर दहल उठे। इससे ठीक 17 दिन पहले नेपाल में आए भूकंप के झटके भोपाल में भी महसूस किए गए थे।