बैठक में भाजपा से कोई भी प्रत्याशी शामिल नहीं हुआ। इस दौरान अन्य दलों के पदाधिकारियों को घंटों तक इंतजार करना पड़ा। चुनाव आयोग के नए निर्देशों को लेकर चल रही बैठक में फॉर्म 26, सी 1, सी 2 के बदलाव के बारे में आयोग ने राजनीतिक दलों के पदाधिकारियों को जानकारी दी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग ने बताया कि नामाकंन फार्म में क्रिमिनल केस की जानकारी बोल्ड और बड़े अक्षरों में देनी है। बैठक में भाजपा के नेता, चुनाव चिन्ह और रंग को लेकर कांग्रेस व अन्य दलों ने आपत्ति जाहीर की है। चुनाव आयोग ने ये भी कहा कि निर्वाचन सम्बन्धी वाहन में किसी प्रकार का परिवर्तन किया तो आरटीओ की एनओसी के बाद अनुमति दी जाएगी।
क्रिमिनल केस की जानकारी
दागियों को टिकट देने के मामले पहले भी पार्टियों में बहस छिड़ी थी। जिसमें मध्यप्रदेश इलेक्शन वॉच संस्था ने विधायकों के शपथ पत्र के आधार पर जो जानकारी जुटाई है, उसमें भाजपा के 43 और कांग्रेस के 19 विधायकों पर मामले दर्ज हैं।
कांग्रेस ने नेताओं पर दर्ज मामलों को राजनीतिक माना है। भाजपा का कहना है कि अपराध साबित नहीं होने तक किसी को दोषी नहीं माना जा सकता। चुनाव में जीत ही प्राथमिकता होती है। इलेक्शन वॉच ने दागियों को टिकट देने के खिलाफ मुहिम छेड़ी है।
इनके ऊपर दर्ज हैं मामले
संस्था के मुताबिक मंत्री जयभान सिंह पवैया, राज्य मंत्री जालम सिंह पटेल, संजय पाठक, लाल सिंह आर्य और हर्ष सिंह सहित भाजपा के 43 मौजूदा विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बाला बच्चन, गोविंद सिंह, केपी सिंह, विक्रम सिंह और आरिफ अकील समेत 19 विधायकों के खिलाफ मामले दर्ज हैं।
इनका ये था कहना
आपराधिक मामले वाले नेताओं को कांग्रेस उम्मीदवार नहीं बनाएगी। जिन नेताओं के खिलाफ राजनीतिक मामले होते हैं, उन्हें दागी नहीं माना जा सकता।
-कमलनाथ, अध्यक्ष, कांग्रेस
दोष साबित नहीं होने तक किसी को अपराधी नहीं माना जा सकता, चुनाव में जीत की संभावना प्राथमिकता होती है।
-दीपक विजयवर्गीय, मुख्य प्रवक्ता, भाजपा
मप्र इलेक्शन वॉच ने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर दागियों को टिकट न देने की मांग की है। कई मौजूदा विधायकों पर सीरियस क्रिमिनल केस हैं।
-अरुण गुर्टू, सदस्य, इलेक्शन वॉच