दरअसल कमल स्पॉन्ज लिमिटेड कम्पनी के खिलाफ सीबीआई ने मामला दर्ज किया था। सीबीआई की इस रिपोर्ट को आधार बनाकर ईडी पिछले काफी समय से कमल स्पॉन्ज लिमिटेड के मामले में तफ्तीश कर रही थी। बाद में सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी, जिसे दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने खारिज कर दिया था। सीबीआई द्वारा पेश की गई इस क्लोजर रिपोर्ट को अस्वीकर कर दिए जाने के बाद इस मामले पर हाईकोर्ट ने बीते साल 13 अक्टूबर को संज्ञान लिया था।
आपको बता दें कि ये कार्रवाई मध्यप्रदेश के सतना कोल ब्लॉक मामले में हुई है, जिसमें ईडी ने करीब 32 करोड़ रुपए की सम्पत्ति कुर्क की है। कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड के निदेशक पवन कुमार अहलूवालिया के खिलाफ भी जांच एजेंसी तफ्तीश कर रही है। कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड को मध्य प्रदेश स्थित तेसगोरा बी रुद्रपुरी का कोल ब्लॉक आवंटित किया गया था। कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड के साथ ही मेसर्स रेवती सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड भी सहयोगी कम्पनी के रूप में शामिल थी। कोल मंत्रालय द्वारा 21 नवम्बर 2008 को ये आवंटन किया गया था।
इससे पहले कम्पनी और अधिकारियों पर गिर चुकी है कोर्ट की गाज
इससे पहले मई में पटियाला हाउस कोर्ट ने कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड से जुड़े कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 2 साल की सजा सुनाई थी। साथ ही कोयला मंत्रालय के दो पूर्व अधिकारी केएस क्रोफा और केसी सामरिया को भी केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की विशेष अदालत ने 2 साल की सजा सुनाई थी। सभी दोषियों पर एक-एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड पर 1 करोड़ का जुर्माना लगाने के साथ ही कम्पनी के मैनेजिंग डायरेक्टर पवन कुमार आहलूवालिया को 3 साल की सजा और 30 लाख का जुर्माना लगाया गया है। इन सभी पर साजिश और भ्रष्टाचार निवारक अधिनियम के अंतर्गत आरोप लगाए गए थे साथ ही अदालत ने सभी को दोषी माना था। हालांकि इसी मामले में चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गोयल पर लगाए गए सभी आरोप खारिज कर उन्हें दोष मुक्त कर दिया गया था।
दरअसल पहले हुई सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कमल स्पॉन्ज स्टील एंड पावर लिमिटेड पर आरोप लगाया था कि इनकी ओर से कोयला ब्लॉक पाने के लिए जो आवेदन दिया गया था वो आधा अधूरा था और दिशा निर्देशों के अनुरूप ऐसा ना होने के चलते संबंधित मंत्रालय की ओर से इनका आवेदन खारिज कर दिया जाना चाहिए था। सीबीआई ने यह भी आरोप लगाया था कि कंपनी की ओर से नेट वर्थ और मौजूदा क्षमता को भी गलत बताया गया साथ ही राज्य सरकार की ओर से यह सिफारिश की गई थी कि इन्हें कोयला ब्लॉक ना आवंटित किया जाए।