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जिले में तीस प्रतिशत प्राध्यापकों के भरोसे 14 हजार विद्यार्थियों की पढ़ाई

locationभोपालPublished: Jul 29, 2018 02:48:13 pm

Submitted by:

Ram kailash napit

वर्षों से जिले के कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी, वरिष्ठ प्राध्यापकों के 50 प्रतिशत पद खाली

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राजगढ़. जिले में स्कूली शिक्षा के तो हाल बेहाल है ही सहीं, लेकिन जिले भर के शासकीय कॉलेजों में प्राध्यापकों की कमी के कारण यहां उच्च शिक्षा की स्थिति भी बेपटरी है। शासन द्वारा साल दर साल जिले में नए नए कॉलेज तो खोले जा रहे है, लेकिन उनमें हर साल प्रवेश लेने वाले करीब 14-15 हजार बच्चों की पढ़ाई के लिए प्राध्यापकों की व्यवस्था पर उच्च शिक्षा विभाग या शासन का कोई ध्यान नहीं है।

जिले में स्थापित नौ शासकीय कॉलेजों में स्वीकृत प्राध्यपकों और सहायक प्राध्यापकों के कुल पदों में से करीब 70 प्रतिशत पद सालों से खाली पड़े हैं। भरे हुए तीस प्रतिशत पदों में भी अधिकांश संख्या सहायक प्राध्यापकों की है,प्राध्यापकों के 50 प्रतिशत से अधिक पद खाली है।

इन पदों को भरने के लिए पिछले कुछ सालों में भोपाल सहित अन्य जिलों में आवश्यकता से अधिक संख्या में पदस्थ कुछ प्राध्यापकों को स्थांतरण राजगढ़ जिले में किया भी गया था, लेकिन इनमें से अधिकांश ने अपना स्थानांतरण स्थगित करवा लिया।


छापी हेड़ा सुठालिया कॉलेज में पढ़ाई ठप
जनप्रतिनिधियों की मांग और जिला योजना समिति के अनुमोदन के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग ने जिले के हर नगरीय क्षेत्र में कॉलेज खोलने की योजना है। इसी को लेकर पिछले साल ब्यावरा के सुठालिया और इस साल खिलचीपुर के छापीहेड़ा में नए कॉलेज खोले गए है।
दोनों कॉलेज की स्वीकृति के बाद उच्च शिक्षा विभाग द्वारा यहां 07-07 सहायक प्राध्यापकों के पद भी स्वीकृत कर विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया, लेकिन स्वीकृत पदों पर सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति अब तक नहीं हुई। इधर नए कॉलेजों में अतिथि विद्वानों की नियुक्त के आदेश भी अब तक विभाग ने जारी नहीं किए है। ऐसे में दोनो ही कॉलोजों में अब तक पढ़ाई शुरू तक नहीं हो पाई है।
151 में से 105 पद रिक्त
शहर के लीड कॉलेज सहित जिले के 09 शासकीय कॉलेजों में प्राध्यापक के 15 और सहायक प्राध्यापक के 136 पदों सहित कुल 151 पद शैक्षिणक व्यवस्था के लिए है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग की उदासीनता के कारण इनमें से 105 पद फिलहाल खाली है।
जिनमें प्राध्यापकों के 08 और सहायक प्राध्यापकों के 97 पद लंबे समय से रिक्त है। पचोर,सारंगपुर, जीरापुर, खिलचीपुर, सुठालिया, छापीहेड़ा छह कॉलेजों में तो एक भी प्राध्यापक नहीं है। नियमित प्राध्यापाकों की इस कमी की पूर्ति करने के लिए कॉलेजों में अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति की जाती है, लेकिन इनकी नियुक्ति के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा हर साल नई प्रक्रिया करने के कारण आधा साल तो बिना प्राध्यापकों के ही बीत जाता है।

यह है जिले के कॉलेजों की स्थिति
कॉलेज सहायक प्राध्यापक प्राध्यापक
स्वीकृत रिक्त स्वीकृत रिक्त
राजगढ़ 06 03 27 18
ब्यावरा 05 02 17 07
नरसिंहगढ़ 02 01 28 21
पचोर 00 00 08 05
सारंगपुर 02 02 17 13
जीरापुर 00 00 12 09
खिलचीपुर 00 00 13 10
सुठालिया 00 00 07 07
छापीहेड़ा 00 00 07 07
कुल 15 08 136 97
ये है कमी
-जीरापुर छोड़कर अन्य किसी भी कॉलेज में नहीं है नियमित प्राचार्य
– अधिकांश कॉलेजों में तकनीकि विषयों के प्राध्यापकों का आभाव
– प्राचार्य के आभाव में प्राध्यापकों को प्राचार्य का प्रभार
– सुठालिया और छापीहेड़ा कॉलेज में एक भी नियुक्तिनहीं


जिले में स्वीकृत पदों के मुकाबले प्राध्यापक और सहायक प्राध्यपक के काफी पद रिक्त है। हमारे द्वारा इसकी जानकारी उच्च शिक्षा विभाग सहित शासन को दी गई है। पदों की पूर्ति वहीं से होनी है। हालांकि इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए हर साल अतिथि प्राध्यापकों की नियुक्ति होती है।
आरके शर्मा, प्राचार्य, लीड कॉलेज राजगढ़

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