प्रदेश के कई क्षेत्रों में 27 से 30 अक्टूबर के बीच में नहरों से पानी सिंचाई के लिए छोड़ा जाएगा। चंबल संभाग में कोटा बैराज से 27 अक्टूबर को पानी छोड़ा जाएगा। इस दौरान भारी बारिश और बाढ़ के चलते जिन नहरों की मरम्मत और निर्माण किया गया है उसकी टेस्टिंग भी की जाएगी। अगर सब कुछ अच्छा रहा तो दीपावली के बाद इंद्रासागर बांध की नहरों में पानी छोड़ा जाएगा।
बाणसागर नहर से रीवा सहित अन्य जिलों में सिंचाई के लिए पानी 15 नवम्बर के बाद छोड़ा जाएगा। बाताया जाता है कि बड़े बांधों से सिंचाई के लिए तीन से चार पानी दिया जाएगा। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दस दिन पहले पूरे प्रदेश में बारिश हुई थी, इससे कई जिलों में खेतों को पलेबा के लिए पानी की जरूरत नहीं है। इन जिलों में सीधे फसलों की सिंचाई के लिए पानी मिलेगा।
प्रदेश में 32 लाख हेक्टेयर सिंचाई का रकबा
प्रदेश में 32 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की सिंचाई बाधों पर आधारित है। इसके अलावा बीस लाख के करीब सिंचाई बोर से की जाती है। इसके साथ ही दस लाख हेक्टेयर से अधिक सिंचाई नदियों, नहरों, तालाब और डेम से सीधे पंप के जरिए की जाती है। नर्मदा सहित आधा दर्जन से अधिक नदियों से सीधे पंपों के जरिए सिंचाई की जाती है। कई जगह किसान सिंचाई के लिए खेतों में बारिश का पानी भर कर भी रखते हैं।