स्व-सहायता समूहों को मिला डिजिटल प्लेटफार्म मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में एक महती कदम बढ़ाते हुए प्रदेश में महिला सशक्तिकरण के लिये प्रभावी कार्य-योजना को अमल में लाया गया है। इस वर्ष महिला स्व-सहायता समूहों को बैंकों के माध्यम से दी जाने वाली सहायता सीमा 300 करोड़ से बढ़ाकर 2100 करोड़ रूपये की गई है। साथ ही यह भी निर्णय लिया गया है कि बैंक ब्याज दर चार प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी। इसके ऊपर का ब्याज राज्य सरकार देगी। स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को आत्म-निर्भरता के पथ पर अग्रसर करने समूहों की गतिविधियों और उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध करवाया जा रहा है। विपणन के लिये स्व-सहायता पोर्टल के माध्यम से समूहों के उत्पादों को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ा गया है।
राज्य शासन ने महिला स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहन के साथ न्यूनतम ब्याज दर पर बैंक ऋण उपलब्ध करवाने की व्यवस्था की है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत निर्धन परिवारों को साहूकारों के कर्ज और उसके ब्याज के जाल से बचने में संजीवनी साबित हो रही है। आर्थिक संबल मिलने से समूह सदस्यों ने अपनी जमीन तथा गहने साहूकारों के यहाँ गिरवी रखना बंद कर दिये और पुराने कर्जे को चुकाकर अपनी जमीनें भी मुक्त कराई हैं। इस तरह के कई उदाहरण अनेक जिलों में हैं। विशेष रूप से अलीराजपुर, शहडोल एवं हरदा जिले में व्यापक पैमाने पर बंधक जमीनें मुक्त हुई हैं।
अलीराजपुर जिले के उदयगढ़ विकासखण्ड में 32 ग्रामों और 59 स्व-सहायता समूहों के 85 सदस्यों ने 31 लाख 72 हजार रूपये में 189 एकड गिरवी रखी जमीन मुक्त कराई। इसी प्रकार शहडोल जिले के विकास खण्ड सोहागपुर अंतर्गत जमुई ग्राम की श्रीमती गीता लोधी ने अपनी गिरवी रखी जमीन समूह के सहयोग से मुक्त कराई है। हरदा जिले के विकासखण्ड टिमरनी के ग्राम छिरपुरा में जय दुर्गे आजीविका स्व-सहायता समूह के सदस्य की गिरवी रखी जमीन मुक्त कराई गई। जमीन एवं गहने मुक्ति कराने तथा आत्म- निर्भरता की ओर तेजी से बढने वाले परिवारों की संख्या लगातार बढती जा रही है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश में 37 लाख 70 हजार से अधिक ग्रामीण निर्धन परिवारों को 3 लाख 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है। अब तक 2 लाख 92 हजार स्व-सहायता समूहों को लगभग 2900 करोड़ रुपये की बैंक ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस राशि से कृषि एवं गैर कृषि आधारित लगभग एक सैकड़ा से अधिक प्रकार की आजीविका गतिविधियाँ एवं सूक्ष्म उद्ध्यम संचालित किये जा रहे हैं। राज्य शासन द्वारा कोरोना काल में ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिये लॉकडाउन एवं जनता कफ्र्यू के समय भी लगातार वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित कर हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाता रहा है।
आजीविका मिशन के माध्यम से प्रदेश में कृषि एवं पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से लगभग 12 लाख 23 हजार परिवारों को जोड़ा गया है। इनमें से लगभग 5 लाख 2 हजार व्यावसायिक सब्जी उत्पादन, 1 लाख 72 हजार उन्नत कृषि, 1 लाख 55 हजार महिलाएँ डेयरी व्यावसाय से जुड कर काम कर रहीं हैं। इसी प्रकार गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों से लगभग 4 लाख 62 हजार परिवारों को जोडा गया है। इनमें से लगभग 61 हजार समूह सदस्य महिलाएँ सिलाई कार्य में संलग्न हैं। सैनेटरी नेपकिन निर्माण एवं री-पैकेजिंग कार्य से लगभग 12 हजार, अगरबत्तीँ निर्माण से लगभग 15 हजार, बाँस उत्पादन निर्माण से लगभग 14 हजार और हथकरघा से लगभग 12 हजार महिलाओं को जोड़ा गया है।
अलीराजपुर जिले के उदयगढ़ विकासखण्ड में 32 ग्रामों और 59 स्व-सहायता समूहों के 85 सदस्यों ने 31 लाख 72 हजार रूपये में 189 एकड गिरवी रखी जमीन मुक्त कराई। इसी प्रकार शहडोल जिले के विकास खण्ड सोहागपुर अंतर्गत जमुई ग्राम की श्रीमती गीता लोधी ने अपनी गिरवी रखी जमीन समूह के सहयोग से मुक्त कराई है।
हरदा जिले के विकासखण्ड टिमरनी के ग्राम छिरपुरा में जय दुर्गे आजीविका स्व-सहायता समूह के सदस्य की गिरवी रखी जमीन मुक्त कराई गई। जमीन एवं गहने मुक्ति कराने तथा आत्म- निर्भरता की ओर तेजी से बढने वाले परिवारों की संख्या लगातार बढती जा रही है।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अंतर्गत मध्यप्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत प्रदेश में 37 लाख 70 हजार से अधिक ग्रामीण निर्धन परिवारों को 3 लाख 30 हजार से अधिक स्व-सहायता समूहों से जोड़ा गया है।
अब तक 2 लाख 92 हजार स्व-सहायता समूहों को लगभग 2900 करोड़ रुपये की बैंक ऋण के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस राशि से कृषि एवं गैर कृषि आधारित लगभग एक सैकड़ा से अधिक प्रकार की आजीविका गतिविधियाँ एवं सूक्ष्म उद्ध्यम संचालित किये जा रहे हैं। राज्य शासन द्वारा कोरोना काल में ग्रामीण परिवारों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने के लिये लॉकडाउन एवं जनता कफ्र्यू के समय भी लगातार वर्चुअल कार्यक्रम आयोजित कर हितग्राहियों को लाभान्वित किया जाता रहा है।
आजीविका मिशन के माध्यम से प्रदेश में कृषि एवं पशुपालन आधारित आजीविका गतिविधियों से लगभग 12 लाख 23 हजार परिवारों को जोड़ा गया है। इनमें से लगभग 5 लाख 2 हजार व्यावसायिक सब्जी उत्पादन, 1 लाख 72 हजार उन्नत कृषि, 1 लाख 55 हजार महिलाएँ डेयरी व्यावसाय से जुड कर काम कर रहीं हैं। इसी प्रकार गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों से लगभग 4 लाख 62 हजार परिवारों को जोडा गया है।
इनमें से लगभग 61 हजार समूह सदस्य महिलाएँ सिलाई कार्य में संलग्न हैं। सैनेटरी नेपकिन निर्माण एवं री-पैकेजिंग कार्य से लगभग 12 हजार, अगरबत्तीँ निर्माण से लगभग 15 हजार, बाँस उत्पादन निर्माण से लगभग 14 हजार और हथकरघा से लगभग 12 हजार महिलाओं को जोड़ा गया है।