भोपाल

बिना पुलिस कार्रवाई पर जा रहे, डेढ़ माह में पिटे नगर निगम के आठ अफसर-कर्मचारी

– कचरा उठाने, पॉलीथिन पर कार्रवाई से लेकर नगर सरकार आपके द्वार योजना, हर जगह मार खा रहे निगम के अफसर-कर्मचारी

भोपालDec 11, 2019 / 11:26 am

देवेंद्र शर्मा

bhopal nagar nigam

भोपाल/ शहर को स्वच्छता अभियान से लेकर जलापूर्ति, सरकारी योजनाओं के शिविर लगाकर आमजन को लाभ पहुंचाने जैसे काम प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल इन कामों को करने के दौरान नगर निगम के कर्मचारियों-अधिकारियों को कोई सुरक्षा नहीं दी जा रही। नतीजतन कार्रवाई के दौरान भडक़ें लोग इनके साथ मारपीट कर रहे हैं। सोमवार को ही बिट्टन मार्केट में हाट बाजार दुकानदारों ने नगर निगम के चार सहायक स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम के साथ मारपीट की।

इससे पहले जोन 11 के प्रभारी अधिकारी शैलेंद्र पारे के साथ पार्षद पुत्र ने मारपीट की थी और इन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था। पारे को सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के दौरान मारपीट का सामना करना पड़ा। डोर टू डोर कचरा कलेक् शन करने वाले वाहन चालक और सहायकों के तीन जगह के वीडियो अभी सात दिन पहले वायरल हुए, जिसमें रहवासी इनसे अपशब्द कहते और धक्का मुक्की करते हुए नजर आ रहे हैं। लगातार ये घटनाएं हो रही है और हैरानी ये कि इनके साथ कोई सुरक्षा का इंतजाम नहीं है।

चार साल बीते, नगर निगम को नहीं मिली खुद की पुलिस

नगर निगम प्रशासन ने कार्रवाई में लगाकार साथ रहने के लिए डीएसपी, एसआई, कांस्टेबल का एक बड़ा अमला निगम के लिए डीजीपी से मांगा था। कई बार पत्राचार हुए। महापौर- निगमायुक्त ने मुलाकात भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसका सबसे बड़ा नुकसान अतिक्रमणकारियों के बुलंद हौंसलों के तौर पर है। इसके साथ ही अब स्वच्छता और पॉलीथिन की कार्रवाई के दौरान दुर्घटना की आशंका के तौर पर रहता है।

राजस्व बढ़ाने तहसीलदार को बनाना था जोन प्रभारी, तृतीय श्रेणी कर्मचारी संभाल रहे ये जिम्मा

महापौर आलोक शर्मा ने अपने कार्यकाल के पहले ही वर्ष में दावा किया था कि नगर निगम के जोन में तहसीलदार या नायब तहसीलदार स्तर के अफसर को प्रभारी बनाएंगे, ताकि राजस्व का काम सुधर सके। इनका कार्यकाल समाप्त होने आया, लेकिन अब तक मंशा पूरी नहीं हुई। नतीजा ये हुआ कि वसूली और बकायादारों पर कार्रवाई समेत शासन की योजनाओं को आमजन तक पहुंचाने में लगातार निगम विफल हो रहा है।

स्थिति ये हैं कि कई जोन प्रभारियों को ये तक पता नहीं है कि संपत्तिकर में सेवा प्रभार 25 फ ीसदी वसूलना है या फि र 75 फीसदी लेना है। संपत्तिकर की गणना जैसी जानकारी तक नहीं है, इसपर इन्हें बैठकों में डांट पड़ रही है। महापौर आलोक शर्मा का कहना है कि हमने शासन से बल मांगने का प्रयास किया, लेकिन हो नहीं पाया। हालांकि अब भी आस नहीं छोड़ी है और सुरक्षा के लिए शासन से निगम के लिए स्थाई बल की फिर मांग करेंगे।

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