दिलचस्प किस्सों की श्रृंखला में patrika.com आपको बता रहा है दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाला साहब ठाकरे से जुड़े कुछ किस्से...। 23 जनवरी को बाल ठाकरे की जयंती है...।
मध्यप्रदेश के इंदौर, देवास और धार से बाला साहब का नाता रहा है। ठाकरे से ताल्लुक रखने वाले 1957 के दौर के कुछ किस्से बताते हैं। एक बार इंदौर के कुछ नागरिक बाला साहब और उनके पिता से मिलने मुंबई गए थे, उस समय मुंबई को बंबई बोला जाता था। ठाकरे इंदौर के लोगों के स्वागत में उन्हें दादर के एक शेट्टी होटल में खाना खिलवाने ले गए। खाने में सभी लोग चिकन खा रहे थे। खाने के दौरान अचानक बाला साहब की थाली में 'विश बोन' आ गई।
नॉनवेज खाने वाले लोग कहते हैं कि इसे अच्छी किस्मत माना जाता है जब 'विश बोन' आपकी प्लेट में आ जाए। विश बोन उठाकर बाला साहब मित्रों को दिखाने लगे और बोले- 'दिस इज कॉल्ड विश बोन, एंड आई विश, मैं महाराष्ट्र का राजा बनूंगा।' इसके बाद दुनिया जानती है कि वे अपने आखिरी समय तक कैसे महाराष्ट्र के बेताज बादशाह की तरह राज करते रहे।

उसी दौर में ठाकरे परिवार से मिलने गए उनके पारिवारिक मित्रों से बाल ठाकरे के पिता ने भी ऐसा ही कुछ कहा था। उन्होंने कहा था कि वे देवास के राजा बनने वाले थे। उन्हें वहां का राज परिवार दत्तक पुत्र बनाना चाहता था, लेकिन कुछ कारणों से यह नहीं हो सका। उस समय ठाकरे परिवार हमेशा ही इंदौर और देवास के लोगों के संपर्क में रहता था।
देवास में पढ़ाई करते थे बाला साहब के पिता
बाला साहब के पिता सीताराम केशव ठाकरे उर्फ प्रबोधनकार ठाकरे 1901 व 1902 में देवास में रहते थे। वे देवास के विक्टोरिया हाईस्कूल में दो साल तक पढ़े भी थे। उन्होंने स्कूल के प्राचार्य गंगाधर नारायण शास्त्री को धन्यवाद दिया था और कहा था कि उनकी वजह से ही उनकी पढ़ाई में रुचि जागृत हुई।

ठाकरे परिवार पर दिग्विजय ने किए थे सवाल
बाला साहब ठाकरे का जन्म 23 जनवरी 1926 को पुणे में केशव सीताराम ठाकरे के यहां हुआ था। उनके पिता केशव चंद्रसेनिय कायस्थ प्रभु परिवार से थे। वे एक लेखक और जातिप्रथा के धुर विरोधी थे। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भी एक बार ठाकरे परिवार के महाराष्ट्र का होने पर सवाल उठाते हुए उन्हें मूल रूप से बिहार का बताया था। दिग्विजय ने कहा था कि बाला साहब का परिवार मूल रूप से बिहार का है। उन्होंने ठाकरे के पिता की किताब का हवाला देते हुए कहा था कि राज ठाकरे के पूर्वज बिहार से ही गए थे। ठाकरे परिवार मगध से मध्य प्रदेश के धार आ गया और यहां से मुंबई चले गया था।
हालांकि उद्धव ठाकरे ने इस बयान का विरोध करते हुए दिग्विजय सिंह को पागल तक करार दिया था। उद्धव ठाकरे ने कहा था कि जिस किताब का जिक्र दिग्विजय कर रहे हैं, वो किताब उस समय के समाज को लेकर है, ठाकरे परिवार के बारे में नहीं। इस बहस के बाद गया के पंडा ठाकरे परिवार की वंशावली व इतिहास खंगाले में जुट गए थे। काफी दिनों तक इस पर बहस भी चली, फिर मामला शांत हो गया।
I pay homage to Shri Balasaheb Thackeray on his Jayanti. He will be remembered forever as an outstanding leader who always stood with the people.
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2022
आदरणीय बालासाहेब ठाकरे जी की जयंती पर में श्रद्धा से नमन करता हूं। — Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) January 23, 2022