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एक किस्सा 2019: वो नेता जिनकी मौत से पूरा देश रोया, इस दिग्गज के निधन की खबर को सुन थम गए थे लोग

locationभोपालPublished: Dec 28, 2019 09:11:02 am

Submitted by:

Pawan Tiwari

हम आपके लिए लाए हैं एक खास सीरीज ‘एक किस्सा 2019 का’।

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भोपाल. मैं आपको एक शायरी सुनाता हूं। कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊंगा, मैं तो दरिया हूं समंदर में उतर जाऊंगा। आज हम आपको ऐसी ही सख्शित के बारे में बता रहें हैं जिन्हें मौत आई और दरिया से समंदर हो गए। 2019 की विदाई का वक्त आ गया है और कुछ मीठी तो कुछ दुखद यादों के साथ 2019 हमसे विदा हो रहा है। इसलिए हम आपके लिए लाए हैं एक खास सीरीज ‘एक किस्सा 2019 का’। एक किस्सा 2019 के इस एपिसोड में आज हम बात करेंगे उन नेताओं की जो आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन आज भी सियासत में जिंदा हैं। साल बीतते जाएंगे यादें ओझल होती जाएंगी फिर इनके नाम इतिहास के पन्नों में नाम सुनहरे अक्षरों से लिखे रहेंगे।

बाबूलाल गौर
बाबूलाल गौर 23 अगस्त 2004 से 29 नबंवर 2005 तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। बाबूलाल गौर लगातार 10 बार भोपाल की गोविंदपुरा विधानसभा सीट से विधायक चुने गए। बाबूलाल गौर का जन्म 2 जून, 1930 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में हुआ था। मजदूरी करने मध्यप्रदेश आए और मजदूरी करते-करते वो मजदूर नेता बने और फिर सियासत में सक्रिय रहने वाले इस नेता का निधन 21 अगस्त, 2019 को हो गया। बाबूलाल गौर आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं पर मध्यप्रदेश की सियासत में हमेशा जिंदा रहेंगे।
एक किस्सा 2019: वो नेता जिनकी मौत से पूरा देश रोया, इस दिग्गज के निधन की खबर को सुन थम गए थे लोग
कैलाश जोशी
क्या आपने कभी सोचा है किसी को नींद आने की बीमारी हो जाए और उसके हाथों से मुख्यमंत्री की कुर्सी चली जाए। हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री कैलाश जोशी की। कैलाश जोशी 26 जून, 1977 को वह मध्य प्रदेश के 9वें और पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के कुछ दिनों बाद कैलाश जोशी को एक विचित्र बीमारी हो जाती है। बीमारी थी नींद की। कहा जाता है कि कैलाश जोशी मुख्यमंत्री रहते हुए दिन में 18-18 घंटे तक सोते रहते थे।
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नींद की बीमारी के कारण कैलाश जोशी को सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कैलाश जोशी मध्यप्रदेश भाजपा के कद्दावर नेता थे। कैलाश जोशी को मध्यप्रदेश की राजनीति का संत कहा जाता था। 1962 से लगातार सात बार बागली क्षेत्र से विधान सभा के सदस्य चुने गए। कैलाश जोशी 1972 से 1977 तक मध्यप्रदेश में नेता प्रतिपक्ष रहे। 24 नवंबर 2019 को कैलाश जोशी का 91 साल की उम्र में लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। जोशी के निधन पर सभी दलों के नेताओं ने शोक प्रकट किया। मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कैलाश जोशी की अर्थी को कंधा भी दिया।
सुषमा स्वराज
11 जून 1996 को लोकसभा में एक नेता ने भाषण दिया था। उस भाषण को आज भारतीय राजनीति के सबसे अच्छे भाषणों में से एक माना जाता है। उस भाषण की कुछ लाइनें आपको बताता हूं। जब एक मंथरा और एक शकुनि राम और युधिष्ठिर को सत्ता से बाहर कर सकते हैं तो हमारे खिलाफ इस सदन में कई मंथरा और शकुनि हैं जो हमारे खिलाफ हैं। ये भाषण उस नेता ने दिया था जिसका कोई विरोधी नहीं था। जिसका जन्म हरियाणा में हुआ था। मुख्यमंत्री दिल्ली की बनीं थीं। राज्यसभा सांसद यूपी से बनीं और लोकसभा का चुनाव मध्यप्रदेश से जीता था। हम बात कर रहे हैं दिवंगत नेता सुषमा स्वराज की।
सात अगस्त को एक ट्वीट सोशल मीडिया में वायरल हुआ था। वो ट्वीट था, प्रधानमंत्री जी – आपका हार्दिक अभिनन्दन, मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी। सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हरियाणा के अंबाला केन्ट में हुआ था। जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद सुषमा स्वराज ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ट्वीट कर बधाई दी थी। इस ट्वीट के 3 घंटे बाद सुषमा का तबियत बिगड़ी और उन्हें अस्तपताल में भर्ती किया गया। 6 अगस्त की रात करीब 11 बजे सुषमा स्वराज ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। सुषमा स्वराज के निधन पर देश का हर नागरिक भावुक हो गया।
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सुषमा स्वराज 2009 में मध्य प्रदेश के विदिशा संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुईं और लोकसभा में विपक्ष की नेता बनी। 2014 में भाजपा ने फिर से उन्होंने विदिशा लोकसभा सीट से चुनाव जीता और वह मोदी सरकार में विदेश मंत्री बनीं। सुषमा स्वराज ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत हरियाणा से की थी। इसके बाद उन्होंने छह राज्यों की राजनीत की। उन्होंने अपना आखिरी चुनाव मध्यप्रदेश के विदिशा ले लड़ा था।
माणिक वर्मा
अब बात उस चेहरे की जो अपनी कविताओं से लोगों के चेहरों पर हंसी लाता था। नाम था माणिक वर्मा। माणिक वर्मा देश के प्रख्यात हास्य कवि थे। 18 सितंबर 2019 की सुबह इंदौर में उनका निधन हो गया। माणिक वर्मा 81 साल के थे और लंबे समय से बीमार चल रहे थे। माणिक वर्मा ने बीमारी के बावजूद मंचों पर जाना नहीं छोड़ा था। अपने व्यंगों से समाज का आइना दिखाने वाले कवि माणिक वर्मा कवि मंचों की शान रहे हैं।
रमाकांत गुंदेचा
ध्रुपद गायक पद्मश्री रमाकांत गुंदेचा का का भी निधन इस साल हो गया। वो 57 साल के थे। 9 नवंबर को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। 57 साल के रमाकांत ने भोपाल में अपनी आखिरी प्रस्तुति दी थी। उमाकांत-रमाकांत और अखिलेश गुंदेचा की तिकड़ी विश्व भर में गुंदेचा बंधु के नाम से प्रसिद्ध है। रमाकांत गुंदेचा का जन्म 24 नवंबर 1962 को हुआ था। वे संगीत और कॉमर्स में एमए थे। गुंदेचा 1981 से भोपाल के प्रोफेसर्स कॉलोनी रह रहे थे। उन्होंने 1985 में सार्वजनिक रूप से ध्रुपद गायकी शुरू की थी। साल 2012 में रमाकांत गुंदेचा को पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
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