मध्यप्रदेश में पिछले कुछ माह पहले ही शिवराज सरकार ने पांच साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इसके बाद कई साधु-संत भी राजनीति में भाग्य आजमाने के मूड में हैं। कई संतों ने तो संकेत भी दे दिए हैं कि वे बीजेपी से चुनाव लड़ेंगे, पार्टी यदि टिकट नहीं देगी तो वे निर्दलीय ही मैदान में उतर जाएंगे।
क्यों राजनीति में आया इंटरेस्ट
मध्यप्रदेश के साधु-संतों का इंटरेस्ट राजनीति में क्यों आया इसके पीछे साधु-संतों को दिया गया राज्यमंत्री का दर्जा भी अहम माना जा रहा है।
क्यों मिला राज्यमंत्री का दर्जा
मध्यप्रदेश में कम्प्यूटर बाबा ने नर्मदा नदी के दोनों तटों पर पौधे लगाने के कथित घोटाले का खुलासा करने और नर्मदा नदी से अवैध रेत खनन पर प्रतिबंध लगाने के लिए अप्रैल माह में नर्मदा घोटाला रथ यात्रा निकालने की बात कही थी। इसके बाद सरकार बैकफुट पर आ गई थी, माना जा रहा था कि संतों की नाराजगी नहीं लेते हुए सरकार ने पांच साधु-संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया था। तभी से बीजेपी में संतों का दखल भी बढ़ने लगा है। इसके बाद अब चुनाव से पहले के राजनीति अखाड़े में साधु-संतों की भी एंट्री हो रही है।
इन्हें मिल चुका है राज्यमंत्री का दर्ज
-मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार ने अप्रैल में 5 हिन्दू बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। इनमें नर्मदानंद महाराज, हरिहरनंद महाराज, कंप्यूटर बाबा, भय्यूजी महाराज और पंडित योगेन्द्र महंत शामिल हैं। इनमें से इंदौर निवासी भय्यूजी महाराज का निधन हो चुका है।
साधु संतों को भी चाहिए विधायक का टिकट
-मशहूर स्वामी नामदेव त्यागी, जो कम्प्यूटर बाबा के नाम से जाने जाते हैं उन्होंने मीडिया को बताया कि वे चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, वे भाजपा के टिकट के लिए दबाव नहीं बनाएंगे, यदि सीएम शिवराज सिंह चौहान उन्हें विधायक का चुनाव लड़ने को कहेंगे तो वे तैयार हैं। स्वामीजी के एक करीबी का दावा है कि वे इंदौर से चुनाव लड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
बीजेपी नहीं देगी टिकट तो निर्दलीय लड़ेंगे चुनाव
मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले से भाजपा के टिकट पर अवधेशपुरी भी चुनाव लड़ना चाहते हैं। 47 वर्षीय बाबा अवधेशपुरी रामचरित मानस में डाक्टरेट हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उज्जैन निवासी अवधेशपुरी का दावा है कि उनका विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस से करीबी नाता रहा है। वे भाजपा के लिए तब से काम कर रहे हैं, जब वह वेंटीलेटर पर थी। महाराजजी का दावा है कि वे भी भारतीय जनता पार्टी पर टिकट के लिए दबाव नहीं बनाएंगे। उनके अनुयायी चाहते हैं कि वे चुनाव लड़ें, जिससे सिंहस्थ कुंभ मेला की साइट पर हुए अतिक्रमण को हटा सकें। वे भाजपा का टिकट न मिलने की स्थिति में निर्दलीय चुनाव लड़ने को भी तैयार हैं।
केवलारी से चुनाव लड़ना चाहते हैं खड़ेश्वरी महाराज
-सिवनी जिले की केवलारी विधानसभा सीट पर भी यदि किसी साधु को टिकट दी जाती है तो वे संत मदन मोहन खड़ेश्वरी महाराज हो सकते हैं। खड़ेश्वरी महाराज भी कई बार दावा कर चुके हैं कि वे 30 सालों से लोगों की सेवा कर रहे हैं। उनकी जीत तय है। इसलिए बीजेपी यदि टिकट नहीं भी देती है तो वे निर्दलीय चुनाव लड़कर जनता के लिए काम करेंगे।
बीजेपी टिकट नहीं देगी तो कांग्रेस से लेंगे टिकट
इधर, रायसेन जेले में भी संत रविनाथ महीवाले राजनीति के अखाड़े में उतरने के लिए बेताब हैं। उन्होंने विधानसभा चुनाव में उतरने के लिए एक प्रकार से अभियान तक छेड़ दिया है। वे भी कहते हैं कि नर्मदा को बचाने के लिए चुनाव लड़ना चाहते हैं। यदि भाजपा टिकट नहीं भी देती है तो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ूंगा।
तो बीजेपी से कर जाएंगे बगावत
रायसेन जिले में ही एक और संत हैं महेंद्र प्रताप गिरी महाराज। जो सिलवानी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। प्रताप गिरी की मंशा है कि यदि उन्हें भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो वे निर्दलीय ही चुनाव लड़ने के लिए राजनीति के अखाड़े में कूद पड़ेंगे।