क्या है एस्ट्रोसिटी एक्ट
पिछड़ी जातियों के खिलाफ अत्याचार और भेदभाव को रोकने के लिए एससीएसटी (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम 1989 बनाया गया था।
-जम्मू-कश्मीर को छोड़कर यह एक्ट पूरे देश में लागू है।
-यदि कोई शिकायत इस कानून के प्रावधानों के तहत आती है तो उसकी सुनवाई के लिए खास व्यवस्था की गई है, जिससे वे लोग खुलकर अपनी बात कह सकें।
सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून में बदलाव कर दिया था और कहा था कि आरोपी को तुरंत गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और न ही शिकायत पर तुरंत मुकदमा दर्ज होगा।
-कोर्ट ने कहा कि वरिष्ठ पुलिस आफिसर इसकी शुरुआती जांच करेगा और जांच किसी भी हालत में सात दिनों में पूरी हो जाएगी। जांच के बाद नतीजा निकालेंगे कि क्या वाकई कोई मामला बनता है या झूठा आरोप लगाया गया है।
-कोर्ट ने इस एक्ट के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की बात स्वीकारते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
काला कानून के विरोध में सड़कों पर उतरे सवर्ण
इधर, एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के विरोध में सवर्ण समाज का विरोध तेज हो गया। सवर्ण समाज प्रदेश में कई स्थानों पर प्रदर्शन कर रही है। गुरुवार को सवर्ण समाज के लोगों ने राजधआनी भोपाल में बीजेपी दफ्तर के गेट के सामने भाजपा कार्यकर्ताओं को काले झंडे दिखाए। हबीबगंज स्टेशन के पास भी सवर्ण समाज के लोगों ने काले झंडे दिखा कर, “काला कानून वापस लो.. एससी एसटी कानून वापस लो” के नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। भाजपा कार्यालय गेट पर विरोध करने पहुंचे प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने बेरीकेड्स लगाकर उन्हे रोकने का प्रयास कर रही है।
बीजेपी विधायक ने दिया विवादित बयान
सवर्ण आंदोलन को लेकर बीजेपी विधायक मोहन यादव ने गुरुवार को विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा कि सवर्ण आंदोलन के पीछे विदेशी फंडिंग की जा रही है। सिमी और इस्लामिक कट्टरपंथी हिन्दू समाज को खण्ड-खण्ड करने की साजिश रच रहे हैं। सिलिकॉन वैली से भी फंडिंग हो रही है। सवर्ण आंदोलन पर समूचे हिन्दू समाज को लेकर सोचना होगा।
बात दें कि हाल ही में एससी-एसटी एक्ट के विरोध में भारत बंद कर विरोध प्रदर्शन किया गया था। जिसके बाद से अब इस मुद्दे को लेकर सभी पार्टियों में जोड़ तोड़ की राजनीति शुरू हो गयी है। इधर, मध्य प्रदेश के सतना में एससी-एसटी एक्ट संशोधन के विरोध में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को काले झंडे दिखाने को लेकर सवर्ण समाज और पुलिस के बीच झूमाझटकी भी हुई।
सरकारी के खिलाफ नारेबाजी
एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्ण समाज के विभिन्न सामाजिक संगठनों ने कलेक्ट्रेट तक रैली निकाली। लोगों ने केन्द्र सरकार के फैसले की निंदा करते हुए मोदी सरकारी के खिलाफ नारेबाजी की और इस कानून को वापस लेने की मांग की। ऐसा नहीं करने पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को वोट नहीं देने का फैसला भी ले लिया है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि जबतक उनकी मांगें पूरी नहीं होती, उनका विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। अब तक विरोध प्रदर्शन में सवर्ण और राजपूतों का साथ मिल रहा था लेकिन अब कई अन्य पार्टियां भी इनके साल मिलकर विरोध प्रदर्शन कर रही है।