प्रदेश में अगले साल नगरीय निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने आचार संहिता में कुछ बदलाव किया है। पहले मतदान के 24 घंटे पहले चुनाव प्रचार पर रोक थी।
केंद्रीय और राज्य के संस्थान भी दायरे में
अभी तक केंद्र और राज्य सरकार के संस्थान निकाय चुनावों की आचार संहिता से बाहर रहते थे, लेकिन अब ये भी दायरे में होंगे। नए प्रावधानों में उल्लेख है कि निर्वाचन की तारीख घोषित होने से लेकर चुनाव होने तक केन्द्र और राज्य सरकार के संस्थान और विभाग मतदाताओं को प्रभावित करने वाले आदेश जारी नहीं करेंगे। निर्माण और विकास कार्यों के टेंडर भी नहीं होंगे।
दलीय आधार पर नहीं हों चुनाव
मप्र नगर पालिका अधिनियम में 11 जनवरी 2017 को संशोधन किया था। इसके अनुसार निकायों के कार्यकाल की पूर्णता के 6 माह पहले परिसीमन और वार्डों के सुधार की प्रक्रिया जरूरी है। परिसीमन तिथि 10 जुलाई को समाप्त हो चुकी है। यह प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक चुनाव नहीं हो सकते।
मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के नेतृत्व में मंत्रिमंडल की उप समिति गठित की थी। इसने अधिनियम में बदलाव कर चुनाव से 2 माह पहले परिसीमन करने का सुझाव दिया है। उप समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि पंचायत चुनाव का फार्मूला अपनाते हुए नगरीय निकायों के चुनाव दलीय आधार पर नहीं कराए जाएं। जीतने के बाद पार्षद किसी भी दल को अपना समर्थन कर सकते हैं। इस मामले में अंतिम निर्णय सीएम को लेना है।