राज्य मंत्रालय सहित अन्य विभागों में प्रमोशन के लिए गठित डीपीसी में मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य शामिल नहीं होते। लेकिन प्रदेश के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय के मुलाजिमों की पदोन्नति के लिए मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग के सदस्य को डीपीसी में सदस्य के तौर पर शामिल करने का प्रावधान कर दिया था। यहां ये विसंगति लम्बे समय से चली आ रही थी। इसको लेकर यहां के कर्मचारियों में नाराजगी भी रही।
जब अन्य विभागों के नियमों को खंगाला गया तो इस विसगंति को दूर करने का निर्णय लिया गया। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने इस विसंगति को दूर करने के लिए राज्य सरकार को संशोधन प्रस्ताव भेजा। सरकार ने इसे हरीझंडी दे दी। अब संशोधित नियमों को हरीझंडी देने के साथ ही इसका प्रकाशन भी कर दिया गया है।
नियम निरस्त होने से अटकी पदोन्नति
हाईकोर्ट द्वारा वर्ष 2002 के पदोन्नति नियम निरस्त होने के बाद से मध्यप्रदेश में अधिकारी—कर्मचारियों की पदोन्नति नहीं हो रही है। अभी यह मामला कोर्ट में चल रहा है। हालांकि सरकार नए नियमों को लेकर मंथन कर रही है। प्रमोशन के लिए बीच का रास्ता भी निकाला जा रहा है।
मालूम हो अप्रैल 2016 से अब तक 15 हजार से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। राज्य के अधिकारी—कर्मचारी सहित इनके संगठन भी यही चाहते हैं कि पदोन्नति के रास्ते खुल जाएं, क्योंकि बिना पदोन्न्ति सेवानिवृत्त होने से पेंशन में आर्थिक नुकसान हो रहा है।