वहीं, भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा ठाकुर ने 21 हजार रुपए खर्च किए हैं। यह खुलासा चुनाव आयोग की सोशल मीडिया पर निगरानी करने वाली विंग की मध्यकालीन रिपोर्ट से हुआ है। आयोग के निर्देश पर यह खर्च प्रत्याशियों के खाते में जोडऩे की कवायद चल रही है।
ये टीम प्रत्याशियों द्वारा नामांकन पत्र में सोशल मीडिया अकाउंट की दी गई जानकारी और उससे जुड़े अकाउंट पर लगातार नजर बनाए हुए है। यह पहला मौका है जब सोशल मीडिया पर विज्ञापन और पोस्ट का खर्च प्रत्याशी के खाते में जोड़ा जाएगा।
आयोग की टीम ने प्रत्याशियों और उनके समर्थकों के सोशल मीडिया अकाउंट की पड़ताल कर पोस्ट पर किए गए खर्च का ब्योरा तैयार किया है। बताया गया है कि सोशल मीडिया के लिए मतदाताओं की उम्र के अनुसार अलग-अलग विज्ञापन तैयार किए गए थे।
ज्यादातर विज्ञापन 25 से 44 वर्ष तक के मतदाताओं को ध्यान में रखकर डिजाइन किए गए। दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया कैंपेनर नरेश अरोरा के द्वारा लिए गए इंटरव्यू को लोगों तक पहुंचाने के लिए बड़ा अभियान चलाया था। दिग्विजय ने अभी तक 25 लाख और प्रज्ञा ने 15 लाख रुपए खर्च का हिसाब आयोग को दिया है।
मुख्यमंत्री ने नहीं दिया विज्ञापन
मुख्यमंत्री कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया, विवेक तन्खा, अजय सिंह, रीति पाठक और नंदकुमार सिंह चौहान ने प्रचार में सोशल मीडिया पर खर्च नहीं किया।
ये भी पीछे नहीं
भाजपा प्रत्याशी गणेश सिंह ने 83 हजार, राजगढ़ प्रत्याशी रोडमल नागर ने 47 हजार और यहीं की कांग्रेस प्रत्याशी मोना सुस्तानी ने 48 हजार रुपए से अधिक खर्च किए। रिपोर्ट के मुताबिक जबलपुर भाजपा प्रत्याशी राकेश सिंह ने 16 हजार, ग्वालियर प्रत्याशी विवेक शेजवलकर ने 10 हजार,
छिंदवाड़ा के कांग्रेस प्रत्याशी नकुलनाथ ने नौ हजार, खजुराहो के वीडी शर्मा ने 15 हजार, इंदौर में शंकर ललवानी ने 14 हजार, पंकज संधवी ने चार हजार, खंडवा के अरुण यादव आठ हजार, मुरैना के रामनिवास रावत ने तीन हजार और नरेन्द्र सिंह तोमर ने 600 रुपए खर्च किए हैं।