चुनाव आयोग आचार संहिता लागू होने से पहले ही कई चीजों में सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है। आयोग ने इसकी शुरूआत वाहनों से हूटर हटने से की थी। इसके बाद (संपत्तिविरूपण) सार्वजनिक स्थानों और शासकीय संपत्तियों से झंड़े -बैनर, पोस्टर सहित हटाने और दीवार लेखन को पोतने के निर्देश दिए थे। इसके अब अधिकारियों के स्थानांतरण को लेकर निर्देश दिए हैं।
आयोग ने यह निर्देश उन अधिकारियों के लिए विशेष तौर पर दिए हैं जो निर्वाचन कार्यों में सीधे तौर पर लगे हुए हैं। आयोग के हस्तक्षेप के चलते अब विधायक और मंत्री अपने पसंदीदा अधिकारियों को मैदान में पोस्टिंग नहीं करा सकेंगे। इसमें हटाने वाले अधिकारी को हटाने का कारण और वहां पदस्थ करने वाले अधिकारी के संबंध में आयोग की सहमति लेनी पड़ेगी।
आयोग की सहमति के बिना किसी भी अधिकारी का स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा। इधर आयोग ने सैकड़ों ऐसे अधिकारियों की सूची आयोग को भेजी है जो तीन साल से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं और वह किसी एक पार्टी विशेष के पक्ष में काम कर रहे हैं अथवा किसी न किसी राजनैतिक पार्टी से उनके संबंध हैं। जानकारों का कहना है कि आयोग ने कई जिलों में वोटर को लेकर भी सख्ती बरत रहा है। हाल ही में लाखों फर्जी वोटर को सूची से बाहर किया गया है। साथ ही बीएलओ की सहायता से नए वोटरों को सूची में जोड़ा जा रहा है।