इलेक्ट्रिसिटी एक्ट संशोधन मामले में बिजली कंपनियों के इंजीनियरों ने विरोध शुरू कर दिया है। आठ और नौ जनवरी 2019 को वे राष्ट्रीय स्तर पर इसके विरोध की तैयारी कर रहे हैं। पॉवर मैनेजमेंट कंपनी के महाप्रबंधक व इंजीनियरिंग एसोसिएशन के पदाधिकारी वीकेएस परिहार का कहना है कि कुछ निजी एजेंसियों को लाभ दिलाने ये कवायद की जा रही है। हम इसका विरोध करेंगे। लागू होने की स्थिति में बड़ा आंदोलन करेंगे।
नए संशोधन में हैरानी वाली बात ये भी हैं कि बिजली खंभे तक लाइन दुरुस्त रखने का जिम्मा तो बिजली कंपनी के पास ही होगा, इसके बाद यानी खंभे की केबल से मीटर तक की व्यवस्था और वसूली का काम निजी एजेंसी करेगी।
पहले भी किए प्रयास, पर नहीं हुए सफल
विभाग ने बिजली वितरण व्यवस्था को निजी हाथों में देने के लिए पहले भी प्रयोग किए। जहांगीराबाद समेत पुराने भोपाल के कुछ जोन फ्रेंचाइजी के सुपुर्द किया था, पर वे इन क्षेत्रों में काम नहीं कर पाए।
संशोधित एक्ट में प्रावधान है कि एक ही एरिया में बिजली आपूर्ति का जिम्मा एक से अधिक व्यक्ति या संस्थाएं भी ले सकेंगी। ये ठीक वैसे ही होगा, जैसे केबल ऑपरेटर करते हैं। एक घर में एक का कनेक्शन तो दूसरे में किसी और का। जो उपभोक्ता बकाया नहीं देगा या ब्लैकलिस्टेड होगा, वह बिजली कंपनी के जिम्मे होगा। यानी लाभ कमाने में निजी एजेंसियों को आगे किया जाएगा और जहां दिक्कतें होगी वह बिजली कंपनी संभालेगी।