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एक जोन में 25 लाइन स्टाफ, 4 नियमित, बाकी आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे

locationभोपालPublished: Jan 08, 2019 01:24:33 am

Submitted by:

Ram kailash napit

हाइटेक कॉल सेंटर और स्काडा तो ठीक, लेकिन ग्राउंड लेवल पर व्यवस्था कमजोर

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भोपाल. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने करोड़ों रुपए खर्च कर कॉल सेंटर, कंट्रोल रूम की स्थापना तो कर ली, लेकिन आम उपभोक्ता के घर तक बिजली पहुंचाने वाले 80 फीसदी कर्मचारी किराए के हैं यानी आउटसोर्स एजेंसी से लिए हुए हैं। अप्रशिक्षित आउटसोर्स कर्मचारियों पर फील्ड में इन करोड़ों की तकनीक का लाभ आम उपभोक्ता तक पहुंचाने का जिम्मा है, ऐसे में आप सोच सकते हैं कि घर-कार्यालय तक पहुंचने वाली बिजली की स्थिति क्या होगी? गौरतलब है कि रविवार को ही ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह ने मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के हाइटेक कॉल सेंटर, अंतरराष्ट्रीय तकनीक पर आधारित स्काडा मॉनिटरिंग कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया है। इन दोनों की स्थापना में करीब डेढ़ सौ करोड़ रुपए खर्च किया है।
भोपाल सिटी सर्कल व ओएंडएम सर्कल की जोनवार स्थिति से ही हम हकीकत समझ सकते हैं। एक जोन में कुल 32 कर्मचारी हैं। इसमें से 25 लाइन स्टाफ है। कुल लाइन स्टाफ में 12 फीसदी यानी बमुश्किल चार कर्मचारी नियमित है। दो से भी कम संविदा और बाकी आउटसोर्स के अनट्रेंड हैं।
एक जोन में एक एफओसी, 40 शिकायतों पर फूलता है दम
भोपाल में औसतन एक जोन में एक एफओसी यानी उपभोक्ता की शिकायत निवारण करने वाली टीम। इसमें एक गाड़ी, ड्राइवर व दो लाइन कर्मचारियों का स्टाफ रहता है। तीन शिफ्ट में कर्मचारी बदलते रहते हैं। कॉल सेंटर पर दर्ज शिकायत इनके इनकमिंग मोबाइल सेट पर पहुंचती है। एक घंटे में इसे दूर करना पड़ता है। दस से पंद्रह शिकायतें पूरे दिन में होने पर तो प्रतिघंटा एक शिकायत की दर से ठीक काम हो जाती है, लेकिन यदि शिकायतें 30 से 40 के बीच पहुंची तो फिर तय समय में दुरूस्त नहीं की जा सकती। बारिश में जब शिकायत 50 से अधिक होती है तो एक शिकायत दूर करने में आठ से दस घंटे का समय लग जाता है।
सिटीजन चार्टर में है कटौती की सूचना देना, लेकिन नहीं दी जाती
सिटीजन चार्टर के तहत आपको अपने क्षेत्र, मोहल्ले में हुए बिजली मेंटेनेंस की जानकारी नहीं दी जा रही है। आपके मोहल्ले की किस डीपी, ट्रांसफार्मर, लाइन का पिछली बार क्या रखरखाव किया गया था ये पूरी तरह गोपनीय रखा जा रहा है। यदि बिजली कंपनी रोजाना के मेंटेनेंस की डिटेल सिटीजन चार्टर के तहत आमजन के लिए सार्वजनिक करना शुरू कर दें तो कंपनी की मेंटेनेंस विंग के अफसरों-इंजीनियरों की दिक्कतें बढ़ जाएगी। बिजली कंपनी की मेंटेनेंस विंग के आंकड़ों पर भरोसा करें पूरे साल में चार विशेष मेंटेनेंस और बाकी नियमित मेंटेनेंस के तहत 2862 क्षेत्रों में लाइनों का रखरखाव किया गया है। इसमें कहीं नहीं जाहिर किया जा रहा है कि किस खंभे या लाइन का मेंटेनेंस हुआ। ऐसे में मेंटेनेंस के फर्जी होने की आशंका बढ़ गई है। भोपाल शहर में बीते एक साल में मेंटेनेंस के नाम पर 1336 घंटे बिजली गुल रही।
हाइटेक इंतजाम, लेकिन हकीकत में ये हुई हालत
14 जून 2018 को रामेश्वरम कॉलोनी में बिजली गुल हो गई। रहवासी आरबी गुर्जर सुबह से रात तक करीब नौ बार बिजली कॉल सेंटर से लेकर विद्यानगर जोन कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराते रहे। रात साढ़े दस बजे वे विद्यानगर बिजली कार्यालय पहुंचे तो यहां जवाब मिला, रात को तो बिजली सुधारने कोई नहीं आएगा, ज्यादा परेशानी है तो परिवार के साथ कार्यालय आ जाओ।
कॉल सेंटर एक नजर
– 16 जिलों के 33 लाख उपभोक्ताओं को शिकायत का दावा
– 30 मिनट में शिकायत दूर होने का दावा
– 22 जोन में लाइन स्टाफ का बड़ा अमला, शिकायत के लिए स्टॉफ को दिया हुआ है विशेष फोन
– 01 घंटे में शिकायत दूर नहीं होने पर उच्चस्तर पर पहुंचने का दावा
– 24 घंटे शिकायतों की सुनवाई का दावा
– 100 उपभोक्ताओं की शिकायत एक साथ दर्ज करने का दावा
– 14 सर्चिंग अधिकारियों की बैठक के लिए कॉल सेंटर में विशेष व्यवस्था
– 100 लाइन हैं
– 150 कर्मचारियों का स्टाफ
– 2016 अक्टूबर में शुरू हुआ कॉल सेंटर
– 17 उपभोक्ता दो लाइन स्टॉफ के भरोसे
हम हाइटेक के साथ जमीन पर भी स्थितियों को बदलाव की कवायद कर रहे हैं। उपभोक्ताओं को इसका असर भी नजर आएगा।
– डॉ. संजय गोयल, एमडी, मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
अभी सरकार आई है। निरीक्षण कर स्थितियां समझ रहे हैं। कई योजनाएं बना रहे हैं, इन्हें लागू करके लोगों को राहत देंगे।
– प्रियव्रतसिंह, ऊर्जा मंत्री मप्र शासन
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