गांव के अनाज भंडार में तोड—फोड करने के साथ खेतों की फसल बर्बाद की। हाथियों का यह दल आस—पास के गांवों में उत्पात ज्यादा बढने पर वन महकमा सक्रिय हुआ। इन हाथियों को सुरक्षित तरीके से पकडने के लिए विशेषज्ञ बुलाए गए।
छत्तीसगढ की मवई नदी पार कर सीधी जिले में घुस आये उत्पाती हाथियों पर काबू पाने के लिए शुरुआती दौर में वन विभाग ने गांवों की सीमा पर सोलर लाइट लगाकर उन्हें रोकने का प्रयास किया। इसके बावजूद हाथियों के दल ने गांवों में घुसकर उत्पात मचाया। विभाग ने मुनादी कर ग्रामिणों को जागरुक भी किया, इसके बादवजूद हाथियों के दल ने दो ग्रामिणों को मार डाला। आदमखोर हुए हाथियों के दल ने जैसे ही सीधी मुख्यालय की ओर रुख किया, वैसे ही वन विभाग ने इन्हें रेस्क्यू कर बांधवगढ टाइगर रिजर्व में भेजने की प्लानिंग बनाई। वैसे देखा जाए तो मप्र के वन अपफसरों के पास उत्पाती हाथियों को रेस्क्यू करने का अनुभव नहीं है।
ऐसे में विभाग ने एक्सपर्ट की मदद से 7 सितंबर को रेस्क्यू अभियान शुरु किया, जो कि 16 सितंबर तक चला। इसमें विभाग के अफसर को सबसे पहली सफलता अभियान के तीसरे दिन मिली जब उन्होंने सबसे उत्पाती नर हाथी को काबू कर पकडा। इससे रेस्क्यू टीम के हौंसले बढ गए। इसके तीन दिन बाद 9 सितंबर को टीम ने हाथी के बच्चे को पकडा। दोनों को बांधवगढ शिफ्ट करने के बाद टीम ने 15 को दो और 16 सितंबर को एक हाथी को रेस्क्यू किया, अब इन्हें भी बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भेजने की तैयारी की जा रही है।