जबकि मेला-बाजार में बनाए जाने वाले शौचालयों में सफाई की जिम्मेदारी मेला प्रबंधन की होगी। स्वस्छता मिशन चरण-दो गांवों में खुले में शौचमुक्त के साथ ही कचरा प्रबंधन पर विशेष जोर दिया जाएगा, चाहे वह ठोस अपशिष्ट हो अथवा तरल अपशिष्ट हो। इसके मैनेमेंट के लिए पंचायतों को प्लान तैयार करना होगा। सरकार का मानना है कि वर्ष 2023 तक घर-घर पानी की सप्लाई पाइप लाइन से होगी। ऐसे में लोगों को पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होगा। इससे शौचालयों से निकालने वाले मल जल का प्रबंधन नहीं किया गया तो तमाम तरह की बीमारियां फैलने का खतर बढ़ जाएगा।
निजी संस्थाओं की होगी भूमिका
कचार मुक्त गांव बनाने के लिए निजी संस्थाओं और एनजीओ का भी सहयोग लिया जाएगा। पीपीपी मॉडल के जरिए कचरा एकत्रीकरण, सीवेज और गोबर से बिजली तैयार कर उससे पंचायतें पैसे भी कमा सकेंगी। कचरा प्रबंधन और उसके सिस्टम तैयार करने में लगनी वाली राशि स्वच्छ भारत मिशन पंचायतों को देगा। एक ब्लाक में कम से कम दस गोबरधन योजना चलाया जाना है।