scriptपैसा कितना भी लगे तबादला कर दो, भाजपाई भी लगा रहे है सिफारिश | Employees are reaching out to the ministers for transfer | Patrika News

पैसा कितना भी लगे तबादला कर दो, भाजपाई भी लगा रहे है सिफारिश

locationभोपालPublished: Jun 15, 2019 08:09:36 am

Submitted by:

Amit Mishra

पांच जुलाई तक होंगे 50 हजार तबादले, राजधानी में तबादला चाहने वालों की उमड़ रही भीड़

news

पैसा कितना भी लगे तबादला कर दो, भाजपाई भी लगा रहे है सिफारिश

भोपाल। सूबे में मानसून भले ही अभी नहीं आया हो, लेकिन तबादलों की बारिश होने वाली है। प्रदेश में नई तबादला नीति के तहत पांच जुलाई तक 50 हजार से ज्यादा तबादले होना हैं, इसलिए मंत्रियों और राजनेताओं के यहां तबादला चाहने वालों की भीड़ लगी है। भाजपा सीधे तौर पर इसे तबादला उद्योग बताकर आक्रामक है। जबकि, हकीकत ये है कि भाजपा नेताओं की सिफारिशें भी कांग्रेसी मंत्रियों तक पहुंच रही हैं।

 

कर्मचारियों से आवेदन लेते रहे
स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट के बंगलों पर सबसे ज्यादा भीड़ दिखी। महिला बाल विकास मंत्री इमरती देवी, उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी और पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल के यहां भी जमघट लगा रहा। कमलेश्वर पटेल अपने नए बंगले में गृह प्रवेश की पूजा मेंं व्यस्त रहे। उनका स्टाफ दूरदराज से तबादलों के लिए आए कर्मचारियों से आवेदन लेता रहा।वहीं, कई लोग मंत्रालय में मंत्रियों के कक्ष के बाहर घूमते भी दिखे।

सिर्फ ये चार प्रकार के तबादले
सरकार या मंत्री किसी को हटाना चाहते हैं या फिर किसी को उपकृत करना चाहते हैं।
पैसे के जरिए जुगाड़ करके मनपसंद जगह तक पहुंचना।
बड़े राजनीतिक आका की सिफारिश के जरिए तबादला।
प्रशासनिक जरूरत के हिसाब से होने वाला तबादला।

 

ज्यादा तबादले कहां
स्कूल शिक्षा में 400 से ज्यादा आवेदन आ चुके हैं। वहीं, महिला बाल विकास, ग्रामीण विकास, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस सहित अन्य विभागों में भी तबादले के लिए आवेदनों के ढेर लगे हैं।

 

भोपाल-इंदौर की मांग
तबादलों के लिए भोपाल और इंदौर के शहरी क्षेत्र सबसे ज्यादा डिमांड में हैं। स्कूल शिक्षा, उचच शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और स्वास्थ्य महकमे में सबसे ज्यादा आवेदन इन दोनों शहरों या इनके आस-पास के लिए आ रहे हैं। भोपाल के स्कूलों में पदस्थापना के लिए भारी भीड़ है।

ये चार गुट असरदार
तबादले में चार गुट बेहद पॉवरफुल हैं। इनमें पहला खेमा मुख्यमंत्री कमलनाथ, दूसरा खेमा पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह, तीसरा खेमा पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया और चौथा खेमा पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का है। कमलनाथ खेमे में चुनिंदा मंत्रियों व नेताओं की सिफारिश कारगर है।

 

चुनिंदा मामलों में ही सिफारिश
दिग्विजय और सिंधिया बेहद चुनिंदा मामलों में ही तबादलों की सिफारिश करते हैं। हालांकि, इनके वहां सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। वहीं, अजय सिंह के यहां भी हमेशा की तरह भीड़ लगी रहती है, लेकिन चुनाव हारने के कारण अजय भी चुनिंदा मामलों में ही सिफारिश कर रहे हैं। इन चारों गुटों में उच्चस्तर पर उपकृत करने के लिए ही सिफारिश होती है।

मंत्री अपनों से परेशान
मंत्रियों के पास कांग्रेस के दूसरी व तीसरी पंक्ति के नेताओं की सिफारिशों का ढेर है। एक मंत्री दूसरे मंत्री के विभाग में भी सिफारिश कर रहा है। कांग्रेस संगठन में भी सिफारिशें बहुत हैं। नेताओं के स्टाफ तक सिफारिशें कर रहे हैं।

तीन जगह स्टाफ तैनात
प्रदेश सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को जिले में भी तबादले के अधिकार दिए हैं। मंत्रियों ने अपने प्रभार वाले जिले, गृह जिले और भोपाल मुख्यालय पर आवेदन लेने वाला स्टाफ तैनात कर दिया है। इसके अलावा तबादलों की चाह में कर्मचारी मंत्रालय भी पहुंचते हैं, लेकिन यहां केवल तभी भीड़ रहती है जब मंत्री मौजूद रहते हैं। शुक्रवार को अधिकतर मंत्रियों के भोपाल में न रहने के कारण मंत्रालय के अधिकतर मंत्री कक्ष खाली रहे।

भाजपाई की सिफारिश
हर साल तबादलों के सीजन को सामान्यत: तबादला उद्योग माना जाता है। इसकी वजह तबादलों में पैसे का चलन है। विपक्षी दल भाजपा इसे लेकर कांग्रेस सरकार को घेरता आया है। हालांकि, भाजपाई भी सिफारिश करने में पीछे नहीं हैं। नाम न छापने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि उसकी ट्रांसफर के लिए भोपाल में एक कर्मचारी से फोन पर बात हुई थी। अभी आवेदन दे दिया है, तबादला होने पर रकम देना पड़ेगी।

 

50 हजार से ज्यादा तबादले

नई तबादला नीति के तहत 50 हजार से ज्यादा तबादले होना हैं। इसमें सरकारी मशीनरी पर औसत 50 हजार रुपए प्रति तबादले के हिसाब से 250 करोड़ रुपए का खर्च आना है। यह खर्च कर्मचारी के एक से दूसरी जगह जाने से लेकर काम शुरू करने तक का अनुमानित है। इसके अलावा तबादला उद्योग के तौर पर करोड़ों का हेर-फेर होना है।

बात पक्की करके आए…

मंत्रियों के बंगलों के नजारे देखे तो तबादला उद्योग का खुला असर नहीं दिखा, लेकिन परेशान लोग और इधर-उधर स्टाफ से फुसफुसाते कर्मचारी संदेह पैदा करते हैं। ऐसे भी लोग दिखते हैं, जो किसी से बात करने के बाद बंगले पर पहुंचे, लेकिन मीडिया से बात करने को राजी नहीं होते। हरदा जिले से आए एक शिक्षक कहते हैं कि ज्यादा खर्च नहीं कर सकते, लेकिन बिना भेंट-चढ़ावे के तबादला कहां होता है। हम बात पक्की करके आए हैं। अब बस वो साहब नहीं मिल रहे, जिनसे बात हुई थी। नाम पूछने पर शिक्षक हाथ जोडऩे लगता है कि साहब तबादला करा लेने दो, क्यों मुझ गरीब के पीछे पड़ते हो।


तीन दिन से भोपाल में डेरा
जितेंद्र शर्मा आदिम जाति कल्याण विभाग के स्कूल में धार जिले में शिक्षक हैं। वे अपने गृह जिले रतलाम में पोस्टिंग चाहते हैं। शर्मा ने तीन दिनों से मंत्री के बंगले से संचालनालय तक के चक्कर काट रहे हैं। शर्मा ने कहा, अभी स्कूल शुरू नहीं हुए हैं। वक्त रहते तबादला हो जाए, इसलिए भोपाल आकर कोशिश कर रहा हूं।

गृह जिला मिल जाए तो ठीक रहेगा
जबलपुर से अपने तबादले का आवेदन लेकर सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह के बंगले पर पहुंचे आरडी मेश्राम पिता के स्वास्थ्य कारणों से तबादला चाह रहे हैं। मेश्राम का कहना है कि रिटायरमेंट में अब कुछ ही साल बाकी है। अब अगर गृह जिला मिल जाए तो ठीक रहेगा।

 

अजय के बंगले पर भीड़
पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के बंगले पर शुक्रवार को काफी भीड़ रही। इनमें ज्यादातर ट्रांसफर की अर्जी लेकर पहुंचे थे। इनमें सीधी, रीवा और सतना के लोगों की ज्यादा संख्या थी। अजय अपने कक्ष में एक-एक से मिलकर आवेदन ले रहे थे। अधिकतर मामलों में उन्होंने संबंधित मंत्री या अधिकारी को फोन लगाकर ट्रांसफर करने के लिए भी कहा।

सिफारिश कराने आए
अजय ने कहा वे चाहे किसी पद पर रहें या न रहें, हमेशा क्षेत्र की जनता की मदद को तैयार रहते हैं। यहां आए परिवहन विभाग के एक कर्मचारी सुधाकर मिश्रा ने कहा कि उनका आवेदन विभागीय व्यवस्था पहुंच गया है, फिर भी सिफारिश कराने आए हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो