उच्च शिक्षा विभाग की ओर से मध्यप्रदेश के परंपरागत पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है। विभाग की ओर से फिलहाल ऑनलाइन या ऑफलाइन पद्धति से परीक्षा लेने के मुद्दे पर भी किसी प्रकार का कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका है, जिसके चलते अंडर ग्रेजुएशन एवं पोस्ट ग्रेजुएशन अंतिम वर्ष के तीन लाख से ज्यादा परंपरागत पाठ्यक्रम में रजिस्टर्ड विद्यार्थियों का चालू शैक्षणिक सत्र अधर में लटका हुआ है।
परीक्षा कराने में हैं कई चुनौतियां
यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक अन्य राज्य ऑनलाइन परीक्षाओं का आयोजन कर रहे, जबकि मप्र में ऑफलाइन इंजीनियरिंग एवं परंपरागत पाठ्यक्रम की परीक्षाओं के आयोजन का टाइम टेबल जारी हुआ था। भोपाल से दिल्ली तक लगातार हो रहे विरोध के चलते शासन ने सभी परीक्षाओं का आयोजन निरस्त कर जनरल प्रमोशन देने की घोषणा कर दी थी। यूजीसी के नए निर्देश आने के बाद अब अंतिम वर्ष और सेमेस्टर की परीक्षाएं होंगी। ऑनलाइन परीक्षा उच्च शिक्षा विभाग एवं आरजीपीवी के लिए चुनौती से कम नहीं है। इसके लिए के दूर-दराज के कॉलेजों में कंप्यूटर लैब तैयार करवाने होंगे और फैकल्टी को ट्रेनिंग भी देना पड़ेगी। विद्यार्थियों को सोशल डिस्टेंसिंग के तहत बिठाना और इसके लिए बड़े परिसर की तलाश भी चुनौती से कम नहीं है। आरजीपीवी एवं उच्च शिक्षा विभाग विद्यार्थियों की परीक्षा लेता है तो भी सभी पाठ्यक्रम की परीक्षाओं को आयोजित करने में दो महीने से ज्यादा का वक्त लग सकता है।