भोपाल

2011 तक के मामलों के क्लोजर की तैयारी में ईओडब्ल्यू

काला धन और ईटेंडरिंग घोटाले में बंधे हाथ
200 से ज्यादा मामले होंगे क्लोज

भोपालJul 15, 2021 / 11:48 am

Arun Tiwari

EOW

भोपाल : आर्थिक अपराधों और भ्रष्टाचार के मामलों की पड़ताल करने वाली प्रमुख सरकारी एजेंसी आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो यानी ईओडब्ल्यू कोरोना की दूसरी लहर खत्म होने के बाद अब सक्रियता से काम कर रही है। ईओडब्ल्यू 2011 तक के उन मामलों को खत्म करने जा रही है, जिनमें जांच की स्थिति जस की तस है। ब्यूरो के अफसर उन सभी फाइलों को खंगाल रहे हैं जिनमें ऐसे मामले हैं जिन पर ईओडब्ल्यू ने मामला दर्ज कर जांच तो शुरु कर दी लेकिन वो जांच अंजाम तक नहीं पहुंची। ईओडब्ल्यू को जांच में आरोपी के खिलाफ कोई सबूत ही नहीं मिला। सूत्रों की मानें तो ईओडब्ल्यू के अफसर मानते हैं कि जिन मामलों में 10 साल से कोई प्रमाण नहीं मिला है उनमें अब नई उम्मीद करना बेमानी है। इसलिए ऐसे सभी मामलों की फाइल बंद की जा रही है। ऐसे करीब ढाई सौ मामले हैं जिनमें से तीन दर्जन बंद हो चुके हैं।

कालाधन और ईटेंडरिंग घोटाले में जांच जस की तस :
प्रदेश में चुनावों में काले धन का उपयोग और ईटेंडरिंग घोटाला, दो ऐसे मामले हैं जो आर्थिक कम और राजनीतिक ज्यादा हो गए हैं। यही कारण है कि इन मामलों में ईओडब्ल्यू की कार्यवाही धीमी गति से चल रही है। तीन हजार करोड़ से ज्यादा का ईटेंडरिंग घोटाला भाजपा सरकार में हुआ था। सरकर बदली तो मामले में तेजी आई लेकिन फिर सरकार बदल गई और जांच ठप हो गई। इस मामले में दो साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है लेकिन दिल्ली की लैब से टेक्रीकल जांच की रिपोर्ट नहीं आ पाई है। इस रिपोर्ट के बिना जांच आगे बढ़ नहीं पा रही। इस घोटाले में राजनीतिक लोगों से लेकर कई अफसरों के नाम भी सामने आ सकते हैं। वहीं चुनावों में कालेधन के उपयोग की फाइल भी प्राथमिकी दर्ज होने से आगे नहीं बढ़ पाई। इसमें तीन आईपीएस संजय माने, सुशोभन बनर्जी, मधुकुमार और एसपीएस अरुण मिश्रा के नाम सामने आ चुके हैं। ईओडब्ल्यू ने पांच रिमांइडर भेजकर इन्कमटैक्स से दस्तावेज मांगे हैं लेकिन ये भी नहीं मिल पाए हैं। यही कारण है कि ये जांच भी एक कदम आगे नहीं बढ़ी।

850 करोड़ के अग्रिम भुगतान में जल्द होगा फैसला :
जल संसाधन विभाग में 850 करोड़ रुपए के अग्रिम भुगतान के मामले को ईडब्ल्यू जल्द अपने अंजाम पर पहुंचाना चाहती है। इसकी जांच भी तेज कर दी है। इस कांड के सूत्रधार ईएनसी राजीव कुमार सुकलीकर पर ब्यूरो का शिकंजा कस गया है। जल्द ही आगे कार्यवाही की जाएगी। सूत्रों की मानें तो अगले एक महीने में इस मामले को ईओडब्ल्यू परिणाम पर लाना चाहती है। जल संसाधन विभाग से मिले दस्तावेजों की जांच में ईओडब्ल्यू को पता चला है कि विभाग के ईएनसी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में तय शर्तों को बदलकर निजी कंपनियों को 850 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान कर दिया था। ईओडब्ल्यू के हाथ वो नोटशीट भी लग गई है जिसमें ईएनसी ने लिखा था कि शासन के निर्देशों के आधार पर अग्रिम भुगतान की अनुमति दी जाती है।

स्टॉफ का टोटा फिर भी तेज हुई जांच :
ईओडब्ल्यू के पास स्टॉफ का टोटा है। यही कारण है कि यहां पर जांच में देरी हो रही है। डीएसपी और इंस्पेक्टरों के पद खाली पड़े हैं। ईओडब्ल्यू में संपत्ति संबंधी अपराध, भ्रष्टाचार, पद के दुरुपयोग और गबन के मामले आते हैं जिनकी जांच का अधिकार इंस्पेक्टर और डीएसपी के पास होता है। ईओडब्ल्यू में स्वीकृत 32 पदों में से आधे खाली पड़े हैं।

Home / Bhopal / 2011 तक के मामलों के क्लोजर की तैयारी में ईओडब्ल्यू

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.