लेकिन जब एचपीई कंपनी को यह काम मिल गया और उसने बीएसएनएल प्रबंधन से बैंडविथ खरीदा तो बीएसएनएल प्रबंधन ने यह शिकायत वापस ले ली। ईओडब्ल्यू ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जिस तरह विवेक अग्रवाल के खिलाफ ‘‘ कंफ्ल्क्टि ऑफ इंट्रेस्ट ’’ के आधार पर शिकायत पंजीबद्ध कर जांच शुरू की हैं, उसी तरह ईओडब्ल्यू ने भी ‘‘ कंफ्ल्क्टि ऑफ इंट्रेस्ट ’’ के चलते बीएसएनएल को भी नोटिस देकर आरोपी बनाने की तैयारी कर ली है। ईओडब्ल्यू इस मामले में कभी भी विवेक अग्रवाल से पूछताछ कर सकता है।
7 स्मार्ट सिटी के क्लाउड बेस्ड कॉमन इंटीग्रेटेड डाटा एंड डिजास्टर रिकवरी सेंटर एंड इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आईसीसीसी) के टेंडर में बीएसएनएल और एचपीई कंपनी एक-दूसरे की प्रतिद्वंद्वी रही है। इसमें बीएसएनएल ने 275 करोड़ रुपए बिड वेल्यू देकर एल-1 स्थान हासिल किया था, लेकिन यह काम 300 करोड़ रुपए में एचपीई को दे दिया। इसकी शिकायत बीएसएनएल ने मुख्य सचिव तक की थी। हाई कोर्ट में भी याचिका लगाई थी, लेकिन बाद में एचपीई के साथ ही बीएसएनएल ने हाथ मिलाकर उसे बैंडविथ और इंटरनेट बैंड देकर शिकायत वापस ले ली।
बीएसएनएल के पास है मजबूत बैंडविथ
भोपाल स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कारपोरेशन लि (बीएससीडीसीएल) ने तकनीकी कारण बताकर बीएसएनएल को टेंडर नहीं दिया। जबकि बीएसएनएल के पास ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में मजबूत बैंडविथ, नेटवर्क लेन थी, जो कि एचपीई के पास नहीं थी। एचपीई के पास नहीं होने से यह तकनीक, नेटवर्क, बैंडविथ-नेटवर्क लेन उसने टेंडर में प्रतिद्वंद्वि रही बीएसएनएल से खरीदी।
इसके चलते ईओडब्ल्यू ने बीएससीडीसीएल के तत्कालीन सीईओ चंद्रमोली शुक्ला की भूमिका और टेंडर कमेटी के तत्कालीन अधिकारियों, विवेक अग्रवाल, बीएसएनएल, पीडब्ल्यूसी-एचपीई के अधिकारियों की भूमिकाओं और टेंडर, शिकायतों आदि से संबंधित दस्तावेज जुटाना शुरु कर दिया हैं। दस्तावेजों के लिए स्मार्ट सिटी प्रबंधन, बीएसएनएल को नोटिस देने की तैयारी चल रही है।
ईओडब्ल्यू द्वारा शिकायत दर्ज करने के बाद इस विषय से जुड़ी अन्य जानकारियां और तथ्य भी अलग-अलग लोगों ने हमें दी है। जांच और कार्रवाई जारी है। दस्तावेजों की छानबीन की जा रही है। दस्तावेजों में जो तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे निर्णय लिया जाएगा।
सुशोभन बैनर्जी, डीजी ईओडब्ल्यू
हमने मुख्य सचिव को भी शिकायत की थी, बाद में शिकायत वापस ली अथवा नहीं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है। यह मेरे समय का विषय नहीं है। हमने बैंडविथ दी है या नहीं, इसकी जानकारी लेना पड़ेगी।
डॉ महेश शुक्ला, सीजीएम, बीएसएनएल भोपाल परिमंडल