50 हजार वोटर वाली सीट पर भी प्रत्याशी
जयस का कहना है कि चुनाव में 47 आदिवासी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगा। साथ ही उन 35 सीटों पर भी प्रत्याशी खड़े किए जाएंगे, जहां आदिवासी मतदाताओं की संख्या 50 हजार तक है। हाल ही में मनावर, धार और कुक्षी में हुई जयस की रैली में जुटी भीड़ आदिवासी नेताओं के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। जयस झाबुआ- मंडला जैसे आदिवासी जिलों में भी काम कर रहा है।
आदिवासी सीटों का समीकरण
प्रदेश में 47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से 32 सीटें भाजपा और 15 कांग्रेस के पास हैं। इसके अलावा आदिवासी सीटों से लगी छिंदवाड़ा, बैतूल, इंदौर जैसी महाकौशल और मालवा की सीटों पर भी आदिवासी वर्ग का बड़ा वोट बैंक माना जाता है। कुछ सीटों पर तो 50 हजार से ज्यादा आदिवासी वोटर हैं।
जय आदिवासी संगठन 47 आदिवासी सीटों के साथ आदिवासी बाहुल्य अन्य सीटों पर भी चुनाव लड़ेगा। संगठन न कांग्रेस के साथ है और न भाजपा के। आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझा गया है। रंजना बघेल ने जिन लोगों को सीएम से मिलवाया है, वे जयस से संबंधित नहीं हैं।
– डॉ. हीरा अलावा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जय आदिवासी संगठन
जिन कार्यकर्ताओं को रंजना ने सीएम से मिलाया उन पर सवाल
रंजना बघेल मनावर सीट से लंबे समय से चुनाव जीत रही हैं। रंजना ने हाल ही में कुछ लोगों को सीएम से मिलवाया था, जिनको जयस का सदस्य बताया था। रंजना ने कहा कि जयस के दो गुट काम करते हैं, जिनमें से एक गुट समाजसेवा करता है, उन्हीं लोगों को सीएम से मिलवाया गया था। इस मुलाकात के पीछे ये माना जा रहा है कि रंजना ने यह बताने की कोशिश की है कि जयस के लोग उनके साथ हैं। जबकि, जयस का कहना है कि उन लोगों का संगठन से कोई ताल्लुक नहीं हैं, उनको बहुत पहले निष्कासित किया जा चुका है।
हाथ मिलाने की कोशिश में बाला बच्चन
कां ग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बाला बच्चन जयस को कांग्रेस के साथ लाने में जुटे हैं। बाला बच्चन का दावा है कि जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरा अलावा से बात हो चुकी है। उनके लोग कांग्रेस के खिलाफ चुनाव नहीं लडेंग़े। जयस से जुड़े युवा उनके ही साथी हैं, इसलिए वो कांग्रेस का साथ देंगे।